याद के मोती समेटे उर पटल में
स्वप्न की डोली उठाने जा रही हूँ ,
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !
मैं सुहागन हूँ मगर वह जो सदा से
देवता द्वारा उपेक्षित ही रही है,
भावना की साधना में निरत शाश्वत
छलकती सी नयन निर्झरिणी बही है !
बेबसी ने होंठ मेरे सी दिये हैं,
सिसकते अरमाँ लुटाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !
नित प्रतीक्षा में दिये जिसकी जला कर
जागती है आश की दुल्हन दीवानी,
आग आँचल में समेटे वेदना की
बन रही है बेखुदी की जो कहानी !
जो न आएगा कभी उसकी डगर पर
प्रीत की कलियाँ बिछाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !
तड़पते अभिशप्त उर की दास्तानें
रात की वीरानियाँ कहने लगी हैं,
चाँदनी में डूबते अभिलाष के क्षण
वेदना की रात कुछ रहने लगी है !
रविकिरण की ज्योति से जो हैं प्रकाशित
मैं उन्हें दीपक दिखाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !
किरण
बहुत भावपूर्ण!!
जवाब देंहटाएंnihshabd hun bahut hi sundar rachna...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
jawab nahi aisi rachna ka .....bahut badhiya
जवाब देंहटाएंतड़पते अभिशप्त उर की दास्तानें
जवाब देंहटाएंरात की वीरानियाँ कहने लगी हैं,
चाँदनी में डूबते अभिलाष के क्षण
वेदना की रात कुछ रहने लगी है !
वाह्………वाह्…………दिल के सारे भाव उँडेल दिये।
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंबेबसी ने होंठ मेरे सी दिये हैं,
जवाब देंहटाएंसिसकते अरमाँ लुटाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !
Behad bhavpoorn aur sashakt!Gazab ka likha hai!
एक ह्रदय स्पर्शी सुंदर रचना मन में घर कर गई |
जवाब देंहटाएंआशा
एक भावपूर्ण अच्छी रचना..
जवाब देंहटाएंगीत को पढने के बाद आप की अन्य रचनाएँ पढीं . आनन्द आ गया साधना जी ।
जवाब देंहटाएंकल 01/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
ओह!
जवाब देंहटाएं“अन्तर महसूसता है, भावों का स्पर्श
जित गहरा उत उच्च है, किरण काव्योत्कर्ष”
आद किरण जी को नमन.
सुन्दर गीत साझा करने हेतु सादर आभार...
bahut achchhi prastuti
जवाब देंहटाएंdil se likha, dil tak hi pahucha...
जवाब देंहटाएंbahut hi bhaavpoorna rachna...
वेदना की तरंग सीधे ह्रदय को झंकृत कर गया !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई !