शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

प्यार की प्रतिमा

याद के मोती समेटे उर पटल में
स्वप्न की डोली उठाने जा रही हूँ ,
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !

मैं सुहागन हूँ मगर वह जो सदा से
देवता द्वारा उपेक्षित ही रही है,
भावना की साधना में निरत शाश्वत
छलकती सी नयन निर्झरिणी बही है !

बेबसी ने होंठ मेरे सी दिये हैं,
सिसकते अरमाँ लुटाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !

नित प्रतीक्षा में दिये जिसकी जला कर
जागती है आश की दुल्हन दीवानी,
आग आँचल में समेटे वेदना की
बन रही है बेखुदी की जो कहानी !

जो न आएगा कभी उसकी डगर पर
प्रीत की कलियाँ बिछाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !

तड़पते अभिशप्त उर की दास्तानें
रात की वीरानियाँ कहने लगी हैं,
चाँदनी में डूबते अभिलाष के क्षण
वेदना की रात कुछ रहने लगी है !

रविकिरण की ज्योति से जो हैं प्रकाशित
मैं उन्हें दीपक दिखाने जा रही हूँ !
चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !

किरण

14 टिप्‍पणियां:

  1. nihshabd hun bahut hi sundar rachna...
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  2. तड़पते अभिशप्त उर की दास्तानें
    रात की वीरानियाँ कहने लगी हैं,
    चाँदनी में डूबते अभिलाष के क्षण
    वेदना की रात कुछ रहने लगी है !
    वाह्………वाह्…………दिल के सारे भाव उँडेल दिये।

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  3. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  4. बेबसी ने होंठ मेरे सी दिये हैं,
    सिसकते अरमाँ लुटाने जा रही हूँ !
    चरण रज से माँग में सिन्दूर भर कर
    प्यार की प्रतिमा सिराने जा रही हूँ !
    Behad bhavpoorn aur sashakt!Gazab ka likha hai!

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  5. एक ह्रदय स्पर्शी सुंदर रचना मन में घर कर गई |
    आशा

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  6. गीत को पढने के बाद आप की अन्य रचनाएँ पढीं . आनन्द आ गया साधना जी ।

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  7. कल 01/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. ओह!
    “अन्तर महसूसता है, भावों का स्पर्श
    जित गहरा उत उच्च है, किरण काव्योत्कर्ष”
    आद किरण जी को नमन.
    सुन्दर गीत साझा करने हेतु सादर आभार...

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  9. dil se likha, dil tak hi pahucha...
    bahut hi bhaavpoorna rachna...

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  10. वेदना की तरंग सीधे ह्रदय को झंकृत कर गया !
    बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई !

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