आज वारिद रो रहे हैं !
कुटिल जग की कालिमा निज अश्रुजल से धो रहे हैं !
आज वारिद रो रहे हैं !
देख कर संतप्त भू को पाप ज्वाला में सुलगते,
ह्रदय की सद्भावनाएँ वासनाओं में बदलते,
विकल होकर आज अपने धैर्य से च्युत हो रहे हैं !
आज वारिद रो रहे हैं !
ध्वंस लीला नीतियों की बढ़ रही जो आज भू पर,
देख ताण्डव नृत्य अत्याचार का सब लोक ऊपर,
स्वयं होकर दुखित अपना आज आपा खो रहे हैं !
आज वारिद रो रहे हैं !
बिलखते सुकुमार बालक कर रहे उनको विकल अति,
पीड़ितों की अश्रुधारा रुद्ध करती प्राण की गति,
सांत्वना के हेतु करूणा जल निरंतर ढो रहे हैं !
आज वारिद रो रहे हैं !
किरण
अत्यंत सजीव चित्त्रण प्रस्तुत किया है
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar...wah..
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
मानवीकरण प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंबिलखते सुकुमार बालक कर रहे उनको विकल अति,
जवाब देंहटाएंपीड़ितों की अश्रुधारा रुद्ध करती प्राण की गति,
सांत्वना के हेतु करूणा जल निरंतर ढो रहे हैं !
आज वारिद रो रहे हैं !
Behad sundar rachanase ru-b-ru karaya aapne!
'आज वारिद रो रहे हैं'पढ़ कर
जवाब देंहटाएंहृदय संतुष्टि और आनंद से भर गया ।
मां सरस्वती की कृपा से ही श्रेष्ठ सृजन संभव होता है,और सरस्वती की कृपा निर्मल निश्छल आत्मा वालों को ही प्राप्त होती है ।
आज के साहित्य की दुर्गत के कारणों को समझा जा सकता है ।
पुनः पवित्र लेखनी को प्रणाम !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Blog : http://shabdswarrang.blogspot.com
बहुत सुंदर भाव लिए कविता |
जवाब देंहटाएंआशा
bahut hi sundar...wah..
जवाब देंहटाएंmummy ji aapki ab tak ki rachnao me best lagi meghe
जवाब देंहटाएंध्वंस लीला नीतियों की बढ़ रही जो आज भू पर,
जवाब देंहटाएंदेख ताण्डव नृत्य अत्याचार का सब लोक ऊपर,
स्वयं होकर दुखित अपना आज आपा खो रहे हैं !
आज वारिद रो रहे हैं !
वाह !! बहुत खूब !!
बहुत सुन्दर रचना ||