अरे कौन तुम मेरे उर में पीड़ा बन कर मुस्काते हो !
मैंने जीवन के प्रभात में विस्मृति की झाँकी देखी है ,
आश लता पर कान्त कल्पना की तितली बाँकी देखी है ,
मैंने देखा अरमानों को चहक-चहक मधुरिम स्वर करते ,
मैंने देखा अभिलाषा के सागर से तृष्णा घट भरते ,
किन्तु अरे तुम कौन राह में मेरी रोड़े अटकाते हो !
अरे कौन तुम मेरे उर में पीड़ा बन कर मुस्काते हो !
तुम आये मेरे जीवन ने कसक वधू का कर पकड़ा है ,
तुम आये मेरे मानस को मोह व्याधि ने आ जकड़ा है ,
तुमने आ मेरे अंतर में विप्लव की ज्वाला सुलगा दी ,
शान्ति सुधा से भरे कटोरों में अशांति की सुरा मिला दी ,
सावन घन बन कर नयनों में कौन अरे तुम आ छाते हो !
अरे कौन तुम मेरे उर में पीड़ा बन कर मुस्काते हो !
अब मैंने देखा रोटी के टुकड़ों पर लड़ने वालों को ,
क्षणभंगुर वैभव पर तिल-तिल प्राण भेंट करने वालों को ,
देखी है अतृप्ति की झंझा, देखा है आहों का नर्तन ,
देखा संसृति रंगमंच पर मृत्यु कामिनी का आवर्तन ,
सम्वेदन की मृदु वीणा पर कौन अरे तुम गा जाते हो !
अरे कौन तुम मेरे उर में पीड़ा बन कर मुस्काते हो !
क्षण-क्षण बढ़ता इस विनाश पथ पर यह रथ निर्माणों का है ‘
हाट लग रही प्राणी मात्र की, मोल हो रहा प्राणों का है ,
जहाँ माँगती है दरिद्रता लक्ष्मी से स्वाँसों का लेखा ,
आज अचानक वहीं दीखती बदली सी नियति की रेखा ,
महा प्रलय के इस ताण्डव में क्यों तुम मुझको भा जाते हो !
अरे कौन तुम मेरे उर में पीड़ा बन कर मुस्काते हो !
किरण
वाह! बहुत सुन्दर...दिल को छू गई रचना!
जवाब देंहटाएंआभार इस प्रस्तुति का!
aapki kavita tamaam achchhi padhi gayi kavitaon mein se ek hai
जवाब देंहटाएंकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति , संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंbahut achhi bhawavivyakti
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना पढने को मिली |प्रभात की विस्मृति /अभिलाषा के सागर से तृष्णा का घट भरना |दूसरे छंद में विप्लब ,अशांति की सुरा, मोह व्याधि इन शब्दों का चयन भी सर्वोत्तम रहा | रोटी के टुकड़ों पर लड़ना , तिल तिल प्राण भेंट करना ,अतृप्ति ,म्रत्यु का आवर्तन प्राणी की हाट में प्राणों का मोल |
जवाब देंहटाएंएक बहुत सुंदर मन को छूने वाली रचना |साधना जी आपने एक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा कार्य किया है जो मम्मी जी की कविताओं से सब को
परिचित करवाया है |
आशा
इतनी अच्छी कविता के लिये साधुवाद
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना पढने को मिली |
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