वह पंथी तो परदेशी है ,
कर पल्लव हिला-हिला उसको
क्यों व्यर्थ बुलाते हो पादप ,
क्यों स्नेह जताते हो पादप !
क्या जाने उसका कौन नगर ,
क्या जाने उसकी कौन डगर ,
क्या जाने कहाँ लुटायेगा
वह स्नेह सुधा प्याले भर-भर !
निर्मम होते हैं परदेशी
जग तो यह ही कहता आया
क्यों इसे भूलते हो पादप ,
क्यों नेह लुटाते हो पादप !
तेरी छाया में आ क्षण भर
मेटा श्रम, उर भर तृप्ति अमर ,
वह आज न जाने कहाँ पहुँच
फिर अपना नया बनाये घर !
झिलमिल स्वप्नों की संसृति में
तुम याद न आओगे उसको ,
क्यों समय गँवाते हो पादप ,
क्यों प्यार लुटाते हो पादप !
रोते तो कितने ही आते ,
क्षण भर रुक मौज मना जाते ,
जोड़ोगे कब तक किस-किस से
ऐसे रिश्ते ऐसे नाते !
यह दुनिया है आनी जानी
रुक सका न कोई चिरजीवन
क्यों मोह बढ़ाते हो पादप ,
क्यों प्रीत लुटाते हो पादप !
किरण
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंरोते तो कितने ही आते ,
जवाब देंहटाएंक्षण भर रुक मौज मना जाते ,
जोड़ोगे कब तक किस-किस से
ऐसे रिश्ते ऐसे नाते !
सुन्दर भाव की पंक्तियाँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
क्या जाने उसका कौन नगर ,
जवाब देंहटाएंक्या जाने उसकी कौन डगर ,
क्या जाने कहाँ लुटायेगा
वह स्नेह सुधा प्याले भर-भर !
निर्मम होते हैं परदेशी
जग तो यह ही कहता आया
क्यों इसे भूलते हो पादप ,
क्यों नेह लुटाते हो पादप !
Sundar bhav,ek goodhta liye hue..!
waah
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंएक सुंदर भाव भरी कविता |
जवाब देंहटाएंआशा
भावों से पूर्ण ....ये सुन्दर रचना .....अतिउत्तम
जवाब देंहटाएंयह दुनिया है आनी जानी
जवाब देंहटाएंरुक सका न कोई चिरजीवन
क्यों मोह बढ़ाते हो पादप ,
क्यों प्रीत लुटाते हो पादप !
Bahut sundar bhavpurn rachna
Bahut shubhkamnayne
रोते तो कितने ही आते ,
जवाब देंहटाएंक्षण भर रुक मौज मना जाते ,
जोड़ोगे कब तक किस-किस से
ऐसे रिश्ते ऐसे नाते !
यह दुनिया है आनी जानी
रुक सका न कोई चिरजीवन .
बहुत ही अनुपम .. लयबद्ध .... गुनगुनाने वाली रचना है .. भावों से परिपूर्ण ... लाजवाब रचना ...
Are wah apki rachna ne dil ko chhu liya di,
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari rachna.
shabdhin hu mai is kavita ke samaksha...lajawaab krati
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