जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !
ऊब कर शून्यता से गगन की बहुत
एक दिन चाँदनी आ सरित से मिली ,
हर लहर में निरख ज्योति के पुंज को
एक प्रतिबिम्ब पाकर बहुत वह खिली !
वीचि के गान में भूल अपनत्व को
उन तरंगों में जा कर स्वयं खो गयी ,
ताल पर हर लहर की लगी नाचने
वह भँवर की सुशैया में जा सो गयी !
स्वप्न देखा अचानक उठी चौंक कर
चाँद तो रूठ कर के कहीं खो गया ,
किन्तु प्रतिबिम्ब लहरों में उसका निरख
क्या जाने अरे ज्योति को हो गया !
क्रोध से उर लगा काँपने उस घड़ी
श्याम मुख हो गया, द्वेष से भर गयी ,
चल पड़ी चंद्रिका लाल मुखड़ा किये
चक्षु से मोतियों की झड़ी लग गयी !
सत्य का अंश भी खोज पाई कहाँ
ईर्ष्या की निशा ने उसे घेर ली ,
जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
चाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !
किरण
जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
जवाब देंहटाएंचाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !
जबरदस्त अभिव्यक्ति ..........बहुत बहुत बंधाई इस सुन्दर रचना के लिए .....
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंवीचि के गान में भूल अपनत्व को
जवाब देंहटाएंउन तरंगों में जा कर स्वयं खो गयी ,
ताल पर हर लहर की लगी नाचने
वह भँवर की सुशैया में जा सो गयी !
Khoobsoorat,nazakat se paripoorn alfaaz! Zore qalam aur ziyada!
ाज नाईस से ही काम चलायें बस हाह्जरी लगाने आयी हूँ धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंजब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
जवाब देंहटाएंचाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !
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chand bhi sharma gaya
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
भाव प्रवण कविता ,सौंदर्य बोध की बहुत सुंदर कल्पना ,अति
जवाब देंहटाएंउत्तम प्रस्तुति |
आशा
कुछ शब्दों के अर्थ साथ में लिखें जरूर लिखें। सरित, सुशैया, निशा
जवाब देंहटाएंअवश्य कुलवंत जी ,सरित का अर्थ है नदी , सुशैया का अर्थ होता है आरामदेह बिछौना या बिस्तर और निशा का अर्थ होता है रात्रि या रात !
जवाब देंहटाएंआपने रचना में इतनी दिलचस्पी दिखाई इसके लिये आभारी हूँ ! इसी तरह कृपा बनाए रखिये ! धन्यवाद !
जब लहर ने उठा शीश ऊपर लखा
जवाब देंहटाएंचाँद ने मुस्कुरा कर निगाह फेर ली !
bahut khoob........