मंगलवार, 16 मार्च 2010

गान न छीनो

मुझसे मेरे गान न छीनो !
जीने की है साध न मुझको
मरने का अरमान न छीनो !
मुझसे मेरे गान न छीनो !

मैंने अपनी जीवन नौका
बीच भँवर में ला डाली है,
मैंने अपनी निर्बल आशा
दु:ख की झंझा में पाली है,
नयनों की करुणा से संचित
अधरों की मुस्कान न छीनो !
मुझसे मेरे गान न छीनो !

संघर्षण का निर्मम झोंका
मेरी मंज़िल ज्योतित करता,
सहज सरल विश्वास तुम्हारा
मेरी पीड़ा को कम करता,
दर्शन मत दो पर मंदिर की
देहरी की पहचान न छीनो !
मुझसे मेरे गान न छीनो !

वो मधुरिम दो बोल तुम्हारे
मेरे मानस में आ छाते,
रीते रीते नयनों में तब
रिमझिम सावन घन भर आते,
जीर्ण कुटी को झंकृत करती
उर वीणा की तान न छीनो !
मुझसे मेरे गान न छीनो !

विजन विश्व में एकाकी मन-
सुमन सूख कर बिखर चला है,
मृगमरीचिका से प्राणों का
भोला पंछी छला गया है,
निर्मम याद फेर लो अपनी
कसकों की झंकार न छीनो !
मुझसे मेरे गान न छीनो !

किरण

8 टिप्‍पणियां:

  1. विजन विश्व में एकाकी मन-
    सुमन सूख कर बिखर चला है,
    मृगमरीचिका से प्राणों का
    भोला पंछी छला गया है,
    निर्मम याद फेर लो अपनी
    कसकों की झंकार न छीनो !
    मुझसे मेरे गान न छीनो !
    बहुत सुन्दर कविता है बधाई

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  2. सुन्दर रचना!!

    आभार प्रस्तुति का!


    आपको नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर रचना!!

    आभार प्रस्तुति का!


    आपको नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  4. वो मधुरिम दो बोल तुम्हारे
    मेरे मानस में आ छाते,
    रीते रीते नयनों में तब
    रिमझिम सावन घन भर आते,
    जीर्ण कुटी को झंकृत करती
    उर वीणा की तान न छीनो !
    मुझसे मेरे गान न छीनो

    शानदार और सुंदर अभिव्यक्ति

    कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
    वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
    डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
    इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
    और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये

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  5. उर वीणा की तान न छीनो !
    मुझसे मेरे गान न छीनो !
    बहुत सुन्दर भाव
    वाह, बेहतरीन

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  6. क्या लय है गीत की गुनगुनाने को मन करता है.

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  7. एक मन को छूती भावना से भरपूर कविता |बहुत सुंदर |
    आशा

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