आज भी प्रिय तुम न आये,
और मैं बैठी अकेली राह में पलकें बिछाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !
सप्त ऋषियों ने गगन में आज वन्दनवार बाँधे,
सोहता मंगल कलश सा धवल चन्दा मौन साधे,
जोहती हूँ बाट प्रियतम नयन में आँसू छिपाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !
खिल उठी है रातरानी गंध चरणों पर चढ़ाने,
बह उठा है पवन चंचल प्रिय परस पर वारि जाने,
गगन गंगा में किसी ने दीप तारों के बहाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !
स्वाँस वीणा पर दुखों की रागिनी प्रिय नित बजाती,
विरहिणी प्रिय आगमन हित मौन भावांजलि चढ़ाती,
झिलमिलाते दीप की मैं आरती बैठी सजाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !
किरण
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..आपका आभार इसे प्रस्तुत करने का.
जवाब देंहटाएंकोमल भाव की खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
स्वाँस वीणा पर दुखों की रागिनी प्रिय नित बजाती,
जवाब देंहटाएंविरहिणी प्रिय आगमन हित मौन भावांजलि चढ़ाती,
झिलमिलाते दीप की मैं आरती बैठी सजाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !...
जो ना आये ...तो ना आये ...मौन भावांजलि यूँ ही बैठी रहे आरती सजाये ...
इस विरहनी का दुःख मौन कर गया ...!!
विरहणी ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना! विरह की आग वही सनातन है जब कि इस भौतिक युग मेँ क्रिया-प्रतिक्रियाओँ का परिवेश बदला है।
जवाब देंहटाएंविरहाकुल कामिनी को गत,विगत,दिवंगत और आगत तक दाझते हैँ।गमित के लिए तन मन दाझता है तो आगत पर समर्पण।राजस्थानी भाषा मेँ प्रिय के आगमन पर कामिनी कहती है-
साजन आया ऐ सखी, कांईँ मनवार करुं। थाळ भरां गज मोतियां,
ऊपर दो नैण धरुं॥
खिल उठी है रातरानी गंध चरणों पर चढ़ाने,
जवाब देंहटाएंबह उठा है पवन चंचल प्रिय परस पर वारि जाने,
गगन गंगा में किसी ने दीप तारों के बहाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !
.......
jo tum aa jate ek baar
kitni karuna kitne sandesh
path me bich jate ban paraag
A nice poem. As a matter of fact it is very
जवाब देंहटाएंdifficult to give any comment on such heart touching poem .
Asha
आज भी प्रिय तुम न आये !
जवाब देंहटाएंAah!
स्वाँस वीणा पर दुखों की रागिनी प्रिय नित बजाती,
जवाब देंहटाएंविरहिणी प्रिय आगमन हित मौन भावांजलि चढ़ाती,
झिलमिलाते दीप की मैं आरती बैठी सजाये !
आज भी प्रिय तुम न आये !
गज़ब की रचना ....प्रेम और विरह का अनूठा मिश्रण ...बधाई
http://athaah.blogspot.com/
विरहिणी के दर्द को बखूबी उकेरा है।
जवाब देंहटाएंस्वाँस वीणा पर दुखों की रागिनी प्रिय नित बजाती,
जवाब देंहटाएंविरहिणी प्रिय आगमन हित मौन भावांजलि चढ़ाती,
सुद्ंर शब्द संयोजन
सुन्दर भाव