आज मुझे जी भर रोने दो !
बीते मधुर क्षणों को मुझको
विस्मृति सागर में खोने दो ,
आज मुझे जी भर रोने दो !
छुओ न उर के दुखते छाले,
मेरी साधों के हैं पाले,
बढ़ने दो प्रतिपल पर पीड़ा
उसमें स्मृतियाँ खोने दो !
आज मुझे जी भर रोने दो !
मत छीनो मेरी उर वीणा,
भर देगी प्राणों में पीड़ा,
अश्रु कणों के निर्मल मुक्ता
आह सूत्र में पो लेने दो !
आज मुझे जी भर रोने दो !
स्मृति मुझसे रूठ गयी है,
और सुषुप्ति राख हुई है,
विगत दिवस हैं स्वप्न, मुझे
स्वप्नों की रजनी में सोने दो !
आज मुझे जी भर रोने दो !
रहे अमर आँखों का पानी,
मैं , मेरी दुनिया दीवानी,
दीवानों को अपनी दुनिया
में दीवाना ही रहने दो !
आज मुझे जी भर रोने दो !
किरण
रहे अमर आँखों का पानी,
जवाब देंहटाएंमैं , मेरी दुनिया दीवानी,
बहुत खूब - अच्छे भाव की रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Pranam
जवाब देंहटाएंSubah-Subah hi dil ko chu jane wali post.
रहे अमर आँखों का पानी,
जवाब देंहटाएंमैं , मेरी दुनिया दीवानी,
दीवानों को अपनी दुनिया
में दीवाना ही रहने दो !
waah mam bahut sundar rachna hai...
"छुओ न उर के दुखते छालों को ,
जवाब देंहटाएंमेरी साधों के हें पाले " बहुत सुंदर भाव |
आशा
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों से सजी खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंwaah...bahut khoob
जवाब देंहटाएंदीवानों को अपनी दुनिया
जवाब देंहटाएंमें दीवाना ही रहने दो !
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
रहे अमर आँखों का पानी,
जवाब देंहटाएंमैं , मेरी दुनिया दीवानी,
दीवानों को अपनी दुनिया
में दीवाना ही रहने दो !
बहुत सुन्दर.
हे अमर आँखों का पानी,
जवाब देंहटाएंमैं , मेरी दुनिया दीवानी,
दीवानों को अपनी दुनिया
में दीवाना ही रहने दो !
आज मुझे जी भर रोने दो !
बहुत सुन्दर गीत है किरेअण जी को बधाई । कैसा लग रहा है अमेरिका?
बहुत अच्छा गीत.
जवाब देंहटाएंबधाई.
छुओ न उर के दुखते छाले,
जवाब देंहटाएंमेरी साधों के हैं पाले,
बढ़ने दो प्रतिपल पर पीड़ा
उसमें स्मृतियाँ खोने दो !
बहुत ही गहरे भाव लिए है कविता...मन की पीड़ा को सुन्दर शब्दों में बाँधा है..