मंगलवार, 8 जून 2010

और छाया है अँधेरा

'उन्मना' एवं 'सुधीनामा' के पाठकों का मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ
जिन्होंने इनकी रचनाओं को पढ़ा और सराहा ! क्षमायाचना के साथ यह कहना
चाहूँगी कि मेरे अमेरिका प्रवास के कारण शायद कुछ समय का व्यवधान इन
ब्लॉग्स पर नयी रचनाएँ डालने में पड़ेगा ! आशा है आप मेरी दिक्कत को
समझ कर मुझे क्षमा करेंगे ! मेरी यथासंभव कोशिश रहेगी कि मैं वहाँ जाकर
भी आप सबके संपर्क में रहूँ और कुछ नया देने की कोशिश करूँ !


जल रहे दीपक सुनहरे और छाया है अँधेरा !

ओढ़ काली चूनरी विधु वदन आँचल में छिपाए,
चपल चंचल चरण धरती लाज से सिर को झुकाए,
आ रही वह साँध्य सुन्दरि प्रिय मिलन की लालसा ले,
गगन सागर के किनारे नभ सरित का जाल सा ले,
फाँस लेगी प्राण का मन मीन सा यों डाल घेरा !

जल रहे दीपक सुनहरे और छाया है अँधेरा !

पर मिलन की यामिनी को विरह का संसार भाया,
हास्य की उज्ज्वल प्रभा को अश्रु का संसार भाया,
शांत शीतल प्रेम सुख को दुःख का श्रृंगार भाया,
चाँदनी का पट उठा कर गहन तम का प्यार भाया,
जल रहे यों ह्रदय के अरमान सूने डाल घेरा !

जल रहे दीपक सुनहरे और छाया है अँधेरा !

दूर करते तम निरंतर दीप अपने प्राण देकर,
स्नेह की संवेदना में त्याग का वरदान लेकर,
किन्तु क्या उस त्याग का प्रतिफल उसे मिलता रहा है,
जो मिटा अस्तित्व अपना दीप यह जलता रहा है,
जो पड़ा घनघोर तम में कर रहा है जग रुपहरा !

जल रहे दीपक सुनहरे और छाया है अँधेरा !

ये गगन के दीप हैं धरती न इनको पा सकेगी,
नीलिमा कोमल सलोनी ही इन्हें बिलमा सकेगी,
ये जलेंगे यों सदा ही पर धरा सूनी रहेगी,
‘दिए के नीचे अँधेरा ही रहा’ संसृति कहेगी,
यह अमा की रात है होता नहीं जिसमें उजेरा !

जल रहे दीपक सुनहरे और छाया है अँधेरा !

किरण

6 टिप्‍पणियां:

  1. इस ब्‍लॉग पर आपकी रचनाओं का इंतजार रहेगा .. आपकी यात्रा मनोनुकूल और सुखद हो !!

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  2. अधिक दिन इस ब्लॉग से दूर रहना मुश्किल होगा |कविता बहुत अच्छी लगी |अमेरिका यात्रा के लिए शुभ कामना के साथ ,
    आशा

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  3. आदरणीया दीदी , प्रणाम !
    यात्रा - प्रवास शुभ सुखद रहे ! आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे !
    मेरी शुभकामनाएं प्रति पल आपके साथ हैं ।

    देखलें, अमेरिका प्रवास के दौरान संभव हो तो ठीक, अन्यथा वापसी पर रचनाओं के साथ साथ आपके अमेरिका प्रवास के अनुभवों की एक शृंखला की भी प्रतीक्षा रहेगी ।
    शुभयात्रा …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  4. बहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..

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