बुधवार, 23 जून 2010

जीवन पथ

जीवन है पथ , मैं पथिक सखे !

इस पथ में ममता की आँधी
चलती रहती अवदात सखे,
इस पथ में माया की सरिता
बहती रहती दिन रात सखे !

साथी चलना बहुत दूर है
दूर बसा मम देश सखे,
चलते रहना प्रतिपल प्रतिक्षण
रुकना न कहीं लवलेश सखे !

आशाओं की कुटिल झाड़ियाँ
करती हैं उत्पात सखे,
इच्छाओं की अग्नि सुलग
करती रहती व्याघात सखे !

पाप पुण्य की अमा निशा में
करने को अभिसार सखे,
मैं निकली अपने उर में ले
मम प्रियतम का सुप्यार सखे !

बढ़ने देता किन्तु न आगे
अरमानों का भार सखे,
मेरे प्रियतम छिपे हुए हैं
दूर क्षितिज के पार सखे !

किन्तु तोड़ना ही होगा संसृति
का बंधन क्षणिक सखे,
करुणा 'किरण' बढ़ा कर मुझको
देना साहस तनिक सखे !

उमड़ पड़े नयनों से वारिद
रोक न पाऊँ इन्हें सखे,
देखो ह्रदय सिंधु है उमड़ा
पावस बन तुम्हें दिखाऊँ सखे !


किरण

9 टिप्‍पणियां:

  1. क्षमा चाहती हूँ ! पता नहीं क्या हुआ कि पोस्ट प्रकाशित ही नहीं हुई ! मेरी भूल कि मैंने भी चेक नहीं किया ! लेकिन प्रसन्नता हुई यह देख कर कि आप सभी को रचना की प्रतीक्षा थी ! अब उसका आनंद लीजिए !

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  2. दिल की गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना , बधाई

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  3. किन्तु तोड़ना ही होगा संसृति
    का बंधन क्षणिक सखे,
    करुणा 'किरण' बढ़ा कर मुझको
    देना साहस तनिक सखे !


    bahut hi khubsurat...waise to poori rachna hi suwasit hai

    Taareef nahi karunga, vandan sweekarein :)

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  4. आशाओं की कुटिल झाड़ियाँ
    करती हैं उत्पात सखे,
    इच्छाओं की अग्नि सुलग
    करती रहती व्याघात सखे !

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....एक एक पंक्ति का सौंदर्य देखते ही बनता है

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  5. Nihayat sundar rachana! Sabhi is raah ke pathik hote hain,par itne samvedansheel nahi...!

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  6. सुन्दर रचना. अवदात का अर्थ क्या है?

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  7. बहुत अच्छी ,भाव पूर्ण रचना |
    आशा

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