उद्बोधन
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किस शान्ति सुधा की आशा में ,
कविता की इस परिभाषा में ,
नैराश्य तमावृत तन और मन ,
ज्योतित करता यह उद्बोधन !
गायक से
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गायक ऐसा गा दे गान !
उमड़ उठें सातों ही सागर ,
हिल जावे यह विश्व महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
उठें क्रान्ति की प्रबल तरंगें
छा जावें तीनों भुवनों में ,
जगे महा आंदोलन फिर से
जगती के व्यापक प्रांगण में ,
नभ, पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि में
होवे फिर संघर्ष महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
पर्वत पर्वत से टकराये,
नदिया से नदिया भिड़ जाये ,
मलयानिल हो जाये झंझा
सूर्य तेज से और तपाये ,
शीतल रजनी के तारों में
तड़ित वेग का हो आधान !
गायक ऐसा गा दे गान !
ऊँच-नीच का भूत भगा कर ,
हों समान सब प्रेम भाव धर ,
हो अखण्ड साम्राज्य शान्ति का ,
उमड़ें सप्त सिंधु मधु पथ पर ,
विषय वासना के महलों में
गूँजे देश प्रेम का गान !
गायक ऐसा गा दे गान !
रहें प्रेम से भाई-भाई ,
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई ,
हिन्दी, हिन्दू, हिंद देश की
फिर से जग में फिरे दुहाई ,
पहने तब प्यारी भारत माँ
निज गौरव का ताज महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
किरण
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किस शान्ति सुधा की आशा में ,
कविता की इस परिभाषा में ,
नैराश्य तमावृत तन और मन ,
ज्योतित करता यह उद्बोधन !
गायक से
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गायक ऐसा गा दे गान !
उमड़ उठें सातों ही सागर ,
हिल जावे यह विश्व महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
उठें क्रान्ति की प्रबल तरंगें
छा जावें तीनों भुवनों में ,
जगे महा आंदोलन फिर से
जगती के व्यापक प्रांगण में ,
नभ, पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि में
होवे फिर संघर्ष महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
पर्वत पर्वत से टकराये,
नदिया से नदिया भिड़ जाये ,
मलयानिल हो जाये झंझा
सूर्य तेज से और तपाये ,
शीतल रजनी के तारों में
तड़ित वेग का हो आधान !
गायक ऐसा गा दे गान !
ऊँच-नीच का भूत भगा कर ,
हों समान सब प्रेम भाव धर ,
हो अखण्ड साम्राज्य शान्ति का ,
उमड़ें सप्त सिंधु मधु पथ पर ,
विषय वासना के महलों में
गूँजे देश प्रेम का गान !
गायक ऐसा गा दे गान !
रहें प्रेम से भाई-भाई ,
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई ,
हिन्दी, हिन्दू, हिंद देश की
फिर से जग में फिरे दुहाई ,
पहने तब प्यारी भारत माँ
निज गौरव का ताज महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
किरण
पहने तब प्यारी भारत माँ
जवाब देंहटाएंनिज गौरव का ताज महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
देश्बक्ति में डूबा ..गान ...!!
बहुत सुंदर ...!!
बहुत ओज पूर्ण आह्वान ... रचना के बारे में कुछ लिखना सूरज को दीपक दिखाना होगा
जवाब देंहटाएंरहें प्रेम से भाई-भाई ,
जवाब देंहटाएंहिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई ,
हिन्दी, हिन्दू, हिंद देश की
फिर से जग में फिरे दुहाई ,
पहने तब प्यारी भारत माँ
निज गौरव का ताज महान् !
गायक ऐसा गा दे गान !
बहुत सुंदर लगा आप का यह गीत, धन्यवाद
शीतल रजनी के तारों में
जवाब देंहटाएंतड़ित वेग का हो आधान !
गायक ऐसा गा दे गान !
बहुत सुंदर गीत
sab kuch sameti hui rachna...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक रचना है …
जवाब देंहटाएंआदरणीया माताजी की हर रचना अनुपम अद्वितीय है ।
हमें पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने के लिए हृदय से आभार !
कृपया ,
जवाब देंहटाएंशस्वरं
पर आप सब अवश्य visit करें … और मेरे ब्लॉग के लिए दुआ भी … :)
शस्वरं कल दोपहर बाद से गायब था …
अभी सवेरे पुनः नज़र आने लगा है ।
कोई इस समस्या का उपाय बता सकें तो आभारी रहूंगा ।
वाह ...बहुत ही अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही बढ़िया और सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंआभार
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सुंदर भावपूर्ण बढ़िया और सार्थक
जवाब देंहटाएंmaa ki baat maan li jaye to zindgi safal ho jayegi...
http://shayaridays.blogspot.com