ऐ मेरी तूलिके महान् !
चल री चल अब उस प्रदेश, हो देश प्रेम जहाँ मूरतमान !
ऐ मेरी तूलिके महान् !
माता पुत्र, बहन भाई को निज कर्तव्य बताती हो ,
प्रिया प्राणपति को जिस स्थल सच्चा पथ दिखलाती हो ,
चलो सखी वहीं जहाँ युवक गाते हों देश प्रेम का गान !
ऐ मेरी तूलिके महान् !
"रण विजयी हो पुत्र ", प्रेम से माँ यह आशिष देती हो ,
"भाई लौट न पीठ दिखाना", बहन गर्व से कहती हो ,
कहती हो पतिप्राणा पत्नी, "जय पाना प्राणों के प्राण" !
ऐ मेरी तूलिके महान् !
कहें सुकोमल बाल पिता से, "पिता हमें भी संग लो आज ,
मातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
गर्व करे जनजीवन हम पर, हमें देश पर हो अभिमान ! "
ऐ मेरी तूलिके महान् !
किरण
तूलिके के सत्मार्ग पर चलने का यह आह्वान काफ़ी प्रेरक है।
जवाब देंहटाएं"रण विजयी हो पुत्र ", प्रेम से माँ यह आशिष देती हो ,
"भाई लौट न पीठ दिखाना", बहन गर्व से कहती हो ,
कहती हो पतिप्राणा पत्नी, "जय पाना प्राणों के प्राण" !
ऐ मेरी तूलिके महान् !
जवाब देंहटाएंमाता पुत्र, बहन भाई को निज कर्तव्य बताती हो ,
प्रिया प्राणपति को जिस स्थल सच्चा पथ दिखलाती हो ,
चलो सखी वहीं जहाँ युवक गाते हों देश प्रेम का गान !
बहुत भावप्रवण रचना .. अद्भुत
कहें सुकोमल बाल पिता से, "पिता हमें भी संग लो आज ,
जवाब देंहटाएंमातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
भावमय करते शब्दों के साथ अनुपम प्रस्तुति ।
वाह वाह …………खूबसूरत आह्वान्।
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्दों के साथ अनुपम प्रस्तु|
जवाब देंहटाएंमातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
जवाब देंहटाएंगर्व करे जनजीवन हम पर, हमें देश पर हो अभिमान ! "
अप्रतिम रचना...बहुत ही सुन्दर
Very inspiring creation !
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna ..!!
जवाब देंहटाएंकहें सुकोमल बाल पिता से, "पिता हमें भी संग लो आज ,
जवाब देंहटाएंमातृ भूमि हित बलि हो जावें इससे बढ़ कर कौन सुकाज ,
गर्व करे जनजीवन हम पर, हमें देश पर हो अभिमान ! "...
बहुत सुन्दर रचना
sundar bhavbheeni rachna
जवाब देंहटाएंghotoo
"रण विजयी हो पुत्र ", प्रेम से माँ यह आशिष देती हो ,
जवाब देंहटाएं"भाई लौट न पीठ दिखाना", बहन गर्व से कहती हो ,
कहती हो पतिप्राणा पत्नी, "जय पाना प्राणों के प्राण" ..
ओजस्वी रचना ... बहुत सुंदर अभवयक्ति ...
मन को स्पंदित करती रचना |
जवाब देंहटाएंआशा