शनिवार, 25 जून 2011
कृष्ण से अनुनय
एक बार बस एक बार
इस भारत में प्रभु आ जाओ !
सोते से इसे जगा जाओ ,
भूलों को राह दिखा जाओ ,
बिछडों को गले लगा जाओ ,
गीता का ज्ञान सिखा जाओ !
हे नाथ यहाँ आकर के फिर
अर्जुन से वीर बना जाओ !
एक बार बस एक बार
इस भारत में फिर आ जाओ !
थीं दूध दही की नदी जहाँ ,
कटती हैं गउएँ नित्य वहाँ ,
होते हैं पापाचार महा ,
तुम छिपे हुए हो कृष्ण कहाँ ,
क्या नहीं सुनाई देता है
यह अत्याचार अरे जाओ !
एक बार बस एक बार
इस भारत में फिर आ जाओ !
मुरली बिन सुने तरसते हैं ,
नयनों से अश्रु बरसते हैं ,
बृज, गोकुल, मथुरा फिरते हैं ,
बेबस गोपाल भटकते हैं ,
अब धर्म हानि को प्राप्त हुआ ,
आकर के इसे बचा जाओ !
एक बार बस एक बार
इस भारत में फिर आ जाओ !
हर साल बुला रह जाते हैं ,
व्याकुल जन अब अकुलाते हैं ,
हे नाथ न क्यों आ जाते हो ,
क्यों इतनी राह दिखाते हो ,
क्यों रुष्ट हुए हो हाय कहो ,
आकर के तनिक बता जाओ !
एक बार बस एक बार
इस भारत में फिर आ जाओ !
किरण
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टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
krishna ko aana hi hoga , desh ko bachana hi hoga ,raah dikhana hi hoga
जवाब देंहटाएंएक और बेहतरीन रचना इस ब्लॉग पर पढ़ने को मिली।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भाव |बढ़िया अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
अब सदविचार रखने वालों के पास यही एक विकल्प रह गया है कि वे फिर से अवतार की कामना करें क्योंकि अनाचार, अत्याचार और भष्टाचार इस हद तक बढ़ चुका है कि यहाँ अब एक नहीं कई कई कंस पैदा हो चुके हैं लेकिन सिर्फ एक कृष्णा का आना ही काफी होगा. बहुत अच्छे शब्दों में पुकारा है और उन्हें उनके अधूरे पड़े कामों के लिएसचेत भी कर दिया है.
जवाब देंहटाएंक्यों रुष्ट हुए हो हाय कहो ,
जवाब देंहटाएंआकर के तनिक बता जाओ !
मर्मस्पर्शी लेखन ...
ह्रदय से निकली पुकार प्रभु के लिए ....!!
इस पर की गयी मेरी टिप्पणी कहाँ गयी ?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना ..कृष्ण को कब से पुकार रहे हैं ..पर वो हैं कि अपनी लीला ही रचा रहे हैं ..
हर साल बुला रह जाते हैं ,
जवाब देंहटाएंव्याकुल जन अब अकुलाते हैं ,
हे नाथ न क्यों आ जाते हो ,
क्यों इतनी राह दिखाते हो ,
क्यों रुष्ट हुए हो हाय कहो ,
आकर के तनिक बता जाओ !
एक बार बस एक बार
इस भारत में फिर आ जाओ !sach main ab to krishnaa ko aa hi jaanaa chahiye.tabhi bharat ka uddhar ho sakataa hai .bahut badiyaaa aahwaan.badhaai sweekaren.
यह अनुनय कृष्ण से ... बहुत जरूरी है
जवाब देंहटाएंएक बार बस एक बार
इस भारत में फिर आ जाओ !
भावमय करते शब्द ।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 28 - 06 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच-- 52 ..चर्चा मंच
परित्राणाय साधूनाम...
जवाब देंहटाएंबस यही सुन आ जाओ।
सटीक व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगहन अनुभूतियों और दर्शन से परिपूर्ण इस रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंna jaane ye rachna kab likhi gayi hogi...lekin aaj ke haalo par bhi khari utarti hui ek sampoorn rachna.
जवाब देंहटाएंमुरली बिन सुने तरसते हैं ,
जवाब देंहटाएंनयनों से अश्रु बरसते हैं ,
बृज, गोकुल, मथुरा फिरते हैं ,
बेबस गोपाल भटकते हैं ,
अब धर्म हानि को प्राप्त हुआ ,
आकर के इसे बचा जाओ !
अत्यंत ही मार्मिक भाव युक्त रचना...