अहो यह कैसा है संसार !
यहाँ पर मर मिटने का खेल ,
यहाँ है फूल शूल का मेल ,
कहीं वैभव छलकाते गान ,
कहीं पर सुख का है अवसान ,
कहीं यौवन का मेला है ,
कहीं बालकपन खेला है ,
वृद्ध कहते सिर पर कर मार ,
"हाय, दुखमय है यह संसार !"
कोई सुख में रहता है लीन ,
कोई रहता हरदम ग़मगीन ,
किसीको है जीवन की चाह ,
कोई मरता भर-भर कर आह ,
धर्म, धन, मान कोई पाता ,
कोई है भीख माँग खाता ,
सभी कह रहे पुकार-पुकार ,
"मोह माया मय है संसार !"
भानु का जब होता अवसान ,
चंद्र का होता है उत्थान ,
पुष्प ने पाया बालापन ,
निराला उसका आकर्षण ,
तुरत आया उसका यौवन ,
अंत बन बिखरा वह रज कण ,
शून्य हो कहते मेघ पुकार ,
"अरे, क्षणभंगुर है संसार !"
प्रथम बालापन है आया ,
युवावस्था ने भरमाया ,
देख कर धन, वैभव, माया ,
सभी कुछ पल में बिसराया ,
अनन्तर वृद्धापन आया ,
रोग ने आकर डरपाया ,
लिया तब औषधि का आधार ,
"प्रमादी है सारा संसार !"
हाय मन अटकाया धन में ,
पुत्र, पति, मात-पिता गण में ,
लिया नहीं राम नाम मन में ,
तेल जीवन घटता क्षण में ,
अंत में हुआ दीप निर्वाण ,
चिता का किया गया निर्माण ,
अग्नि कह रही पुकार-पुकार ,
"अरे अस्थिर है यह संसार !"
किरण
छत्र गूगल से साभार
यहाँ पर मर मिटने का खेल ,
यहाँ है फूल शूल का मेल ,
कहीं वैभव छलकाते गान ,
कहीं पर सुख का है अवसान ,
कहीं यौवन का मेला है ,
कहीं बालकपन खेला है ,
वृद्ध कहते सिर पर कर मार ,
"हाय, दुखमय है यह संसार !"
कोई सुख में रहता है लीन ,
कोई रहता हरदम ग़मगीन ,
किसीको है जीवन की चाह ,
कोई मरता भर-भर कर आह ,
धर्म, धन, मान कोई पाता ,
कोई है भीख माँग खाता ,
सभी कह रहे पुकार-पुकार ,
"मोह माया मय है संसार !"
भानु का जब होता अवसान ,
चंद्र का होता है उत्थान ,
पुष्प ने पाया बालापन ,
निराला उसका आकर्षण ,
तुरत आया उसका यौवन ,
अंत बन बिखरा वह रज कण ,
शून्य हो कहते मेघ पुकार ,
"अरे, क्षणभंगुर है संसार !"
प्रथम बालापन है आया ,
युवावस्था ने भरमाया ,
देख कर धन, वैभव, माया ,
सभी कुछ पल में बिसराया ,
अनन्तर वृद्धापन आया ,
रोग ने आकर डरपाया ,
लिया तब औषधि का आधार ,
"प्रमादी है सारा संसार !"
हाय मन अटकाया धन में ,
पुत्र, पति, मात-पिता गण में ,
लिया नहीं राम नाम मन में ,
तेल जीवन घटता क्षण में ,
अंत में हुआ दीप निर्वाण ,
चिता का किया गया निर्माण ,
अग्नि कह रही पुकार-पुकार ,
"अरे अस्थिर है यह संसार !"
किरण
छत्र गूगल से साभार
पुष्प ने पाया बालापन ,
जवाब देंहटाएंनिराला उसका आकर्षण ,
तुरत आया उसका यौवन ,
अंत बन बिखरा वह रज कण ,
शून्य हो कहते मेघ पुकार ,
"अरे, क्षणभंगुर है संसार !"
अद्भुत उदगार, कोई शब्द भी कम है उद्गारों के लिए, उत्क्रष्ठ साहित्य सेवा के लिए साधुवाद और बधाई
...बहुत सशक्त एवं भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंहाय मन अटकाया धन में ,
जवाब देंहटाएंपुत्र, पति, मात-पिता गण में ,
लिया नहीं राम नाम मन में ,
तेल जीवन घटता क्षण में ,
अंत में हुआ दीप निर्वाण ,
चिता का किया गया निर्माण ,
अग्नि कह रही पुकार-पुकार ,
"अरे अस्थिर है यह संसार !"
sunder panktiyan
rachana
एक अच्छी रचना पढवाने के लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंकोई सुख में रहता है लीन ,
जवाब देंहटाएंकोई रहता हरदम ग़मगीन ,
किसीको है जीवन की चाह ,
कोई मरता भर-भर कर आह ,
इस संसार का एकदम जीवंत चित्रण है, कविता में
बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति
such me sab kuch samet diya apne apni rachna me shabdo dwara...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है,साधना जी
जवाब देंहटाएंआभार
कोई सुख में रहता है लीन ,
जवाब देंहटाएंकोई रहता हरदम ग़मगीन ,
किसीको है जीवन की चाह ,
कोई मरता भर-भर कर आह ,
बेहतरीन शब्द रचना ।
जीवन चित्रित कर दिया।
जवाब देंहटाएंसंसार का चित्र खींच दिया है ..सुन्दर और सशक्त रचना .
जवाब देंहटाएंअहो यह कैसा है संसार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना। ऐसी रचनाएं कभी कभी ही पढने को मिलती हैं।
तेल जीवन घटता क्षण में ,
जवाब देंहटाएंअंत में हुआ दीप निर्वाण ,
चिता का किया गया निर्माण ,
अग्नि कह रही पुकार-पुकार ,
"अरे अस्थिर है यह संसार !"
.... गहन चिंतन से परिपूर्ण एक सशक्त रचना..आभार
एक सशक्त रचना |बहुत भाव पूर्ण
जवाब देंहटाएंआशा
http://shayaridays.blogspot.com/
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