फटी साड़ी में लिपटी मौन
नयन भर करुणा रस का भार ,
आज यह खड़ी द्वार पर कौन
सरलता सुषमा सी साकार !
अनावृत आधे-आधे पैर
शीश के केश पीठ, कुछ हाथ ,
छिपाये तन को किसी प्रकार
शील और लज्जा के वे साथ !
अंक में सुन्दर सा वह बाल
किसीकी आशा सा सुकुमार ,
सो रहा सुख निद्रा में मौन
दीन माँ का प्यारा आधार !
शून्य दृष्टि से चारों ओर
देखती ठिठक भयानक मौन ,
निरखती फिर-फिर अपना लाल
खड़ी है ममता सी यह कौन !
फटे आँचल को तनिक पसार
बढ़ा कर अपना दुर्बल हाथ ,
शीश तक ले जाती फिर उसे
और कुछ कहती मुख के साथ !
भिखारिन है यह अबला दीन
मनुज की बर्बरता की मूर्ति ,
बहा नयनों से निर्मल नीर
कर रही करुणा रस की पूर्ति !
किरण
hai re bhikharin teri yahi kahani...
जवाब देंहटाएंbahut karunamayee rachna..!!
भिखारिणी का सजीव चित्रण ...बहुत मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगहन अवलोकन के वाद उकेरा गया चित्र |भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
|
एक भिखारिन की अवस्था का सजीव चित्रण कर दिया।
जवाब देंहटाएंएक भिखारिन की दीन-हीन छवि आँखों के आगे साकार हो उठी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक कविता
अक्षरश: सत्य लिखा है ... ।
जवाब देंहटाएंमानवीय भावों से परिपूर्ण , मर्मश्पर्सी , छंदबद्ध-लयबद्ध सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंलेखनी प्रशंसनीय ....
फटे आँचल को तनिक पसार
जवाब देंहटाएंबढ़ा कर अपना दुर्बल हाथ ,
शीश तक ले जाती फिर उसे
और कुछ कहती मुख के साथ !
सजीव ,मार्मिक चित्रण
एक मार्मिक रचना, आंखे भीग गई, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशून्य दृष्टि से चारों ओर
जवाब देंहटाएंदेखती ठिठक भयानक मौन ,
निरखती फिर-फिर अपना लाल
खड़ी है ममता सी यह कौन !
ममता का कोई प्रकार नहीं होता। ममता की कोई श्रेणी नहीं होती, चाहे वह रानी की ममता हो या भिखारिणी की।
कविता मर्मस्पर्शी है।
एक अच्छी प्रस्तुति ...आभार आपका !
जवाब देंहटाएंसजीव चित्रण । मर्मस्पर्शी अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति !!
सत्य लिखा है.... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभिखारिणी का सजीव चित्रण|अच्छी प्रस्तुति|
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