१
बीज में ही वृक्ष का अस्तित्व है ,
दीप की लौ में दहन का तत्व है ,
लघु नहीं है कोई भी कण सृष्टि का ,
निहित शिशु में ही महा व्यक्तित्व है !
२
चाँदनी रोती रही है रात भर ,
आँसुओं से भर उठा सारा जहाँ ,
पर न निष्ठुर चाँद का पिघला हृदय ,
है पुरुष पाषाण में ममता कहाँ !
३
देवता पर फूल ही चढ़ते सदा ,
पर बेचारी धूल का अस्तित्व क्या ,
भूल जाते उस समय यह बात वे ,
धूल से ही फूल को जीवन मिला !
किरण
बीज में ही वृक्ष का अस्तित्व है ,
दीप की लौ में दहन का तत्व है ,
लघु नहीं है कोई भी कण सृष्टि का ,
निहित शिशु में ही महा व्यक्तित्व है !
२
चाँदनी रोती रही है रात भर ,
आँसुओं से भर उठा सारा जहाँ ,
पर न निष्ठुर चाँद का पिघला हृदय ,
है पुरुष पाषाण में ममता कहाँ !
३
देवता पर फूल ही चढ़ते सदा ,
पर बेचारी धूल का अस्तित्व क्या ,
भूल जाते उस समय यह बात वे ,
धूल से ही फूल को जीवन मिला !
किरण
सभी क्षणिकाएं दिल को छू लेने वाली हैं.
जवाब देंहटाएंसादर
देवता पर फूल ही चढ़ते सदा ,
जवाब देंहटाएंपर बेचारी धूल का अस्तित्व क्या ,
भूल जाते उस समय यह बात वे ,
धूल से ही फूल को जीवन मिला !
her kshanika me jivan hai
देवता पर फूल ही चढ़ते सदा ,
जवाब देंहटाएंपर बेचारी धूल का अस्तित्व क्या ,
भूल जाते उस समय यह बात वे ,
धूल से ही फूल को जीवन मिला !
सभी क्षणिकायें बहुत सुन्दर और दिल को छू जाती हैं..
सारी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक हैं
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएँ बहुत सशक्त हैं!
जवाब देंहटाएंमुझे तो तीसरी सबसे अच्छी लगी, ऐसे ही लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंक्या आपने अपने ब्लॉग से नेविगेशन बार हटाया ?
निहित शिशु में ही महा व्यक्तित्व है !
जवाब देंहटाएंहै पुरुष पाषाण में ममता कहाँ !
बहुत ही अच्छी लगी ये क्षणिकाये |
बहुत ही सुन्दर एवं सशक्त भाव ...।
जवाब देंहटाएंमुझे तृतीय वाली ज्यादा पसंद आई...
जवाब देंहटाएंधूल भी मिटटी का ही रूप है जो जीवन का स्रोत है..
"बीज में ही वृक्ष का अस्तित्व है "
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त अभिव्यक्ति |
आशा
आपने मुझे पढ़ा इसके लिए ह्रदय से धन्यवाद ! पीछा करते करते यहाँ आयी तो मज़ा ही आ गया ! पूरा रसपान किया मैंने यहाँ ! :-) पहली क्षणिका पढ़ के William Wordsworth की वो बात याद आयी कि a child is the father of a man. मज़ा आया यहाँ आके. लौटूंगी दोबारा !
जवाब देंहटाएंbahut suder, sashakt kshanikaayen.
जवाब देंहटाएंलघु नहीं है कोई भी कण सृष्टि का ,
जवाब देंहटाएंनिहित शिशु में ही महा व्यक्तित्व है !
सृष्टि का हर कण अपने आप में महत्त्वपूर्ण है और परिपूर्ण भी...
इंसान है कि उसे नापने-तोलने में लगा रहता है...!!
भाषा और भावों का उत्तम सम्मिश्रण...!!
देवता पर फूल ही चढ़ते सदा ,
जवाब देंहटाएंपर बेचारी धूल का अस्तित्व क्या ,
भूल जाते उस समय यह बात वे ,
धूल से ही फूल को जीवन मिला !
लाजवाब लाजवाब लाजवाब.