आज माँ की कविताओं के संकलन से यह बेमिसाल रचना आपके लिये लेकर आई हूँ ! उनकी रचनाएं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी कितनी प्रासंगिक होती हैं यह देख कर विस्मय से भर जाती हूँ ! हर्ष और उल्लास से ओत प्रोत होली का पर्व द्वार पर दस्तक दे रहा है ! सभी रचनाकार इस पर्व पर अपनी भावनाओं, कल्पनाओं और कामनाओं को कलमबद्ध कर रहे हैं ! माँ की वर्षों पुरानी इस रचना में होली को उन्होंने कितनी अभिनव शैली में चित्रित किया है आप भी देखिये ! इसमें आपको होली के सभी रंगों का उल्लेख मिलेगा लेकिन एकदम अनोखे अंदाज़ में !
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
नीला रंग खुशी का ओढ़े खिलती हँसती आई ,
धन वाले अधिकारी दल में शोखी मस्ती लाई ,
देखा कहीं सुरा के प्याले खनक रहे हैं खन-खन ,
कहीं भंग भोले बाबा की घुटती बँटती पाई !
रंग गुलाल अबीर छिड़कते मदमाते हमजोली,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
हरे रंग की चूनर में पीला नीला रंग भर कर ,
नये राष्ट्र की नयी नीति निकली अगणित कर लेकर ,
नयी समस्याएं आती रहती हैं सन्मुख हर दम ,
चलो जेल में मौज करो यदि तुम न चुका सकते कर !
अपने तन मन धन की भी बोलो नीलामी बोली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
पीला रंग खिला खेतों में किन्तु छिपा कोठों में ,
एक आह उठती अंतर से पर ताले होठों में ,
सस्ता माल खरीद कृषक से बेच रहे ये मँहगा ,
कैसा स्वार्थ समुद्र भरा इन पूंजीपति सेठों में !
एक क़र्ज़ दे चार लिखाते ठगते दुनिया भोली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
लाल चूनरी मिल से निकली मजदूरों की टोली ,
भेद भाव हों दूर माँगते वे फैला कर झोली ,
रहें न बिस्कुट चाय सिल्क मोटर बंगले या कोठी ,
एक समान वस्त्र भोजन हो और एक सी खोली !
इनकी यह आवाज़ दबाने छूटे डंडे गोली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
रंग गुलाबी ओढ़ पार्टी बाँदी बन मुस्काई ,
बीज बैर के और फूट के झोली भर कर लाई ,
एक दूसरे का अनिष्ट निज नया सोचते रहते ,
घोर अराजकता की बदली इस भारत पर है छाई !
रोज चुनाव हुआ करते हैं चलती गाली गोली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
काला रंग देश में कैसा बेकारी का छाया ,
कभी न तन पर कपड़ा पहना कभी न मन भर खाया ,
कोई डूब रहा पानी में, कोई फाँसी झूला ,
देखो तड़प रही धरती पर छिन्न-भिन्न इक काया !
माँ की गोद लुटा करती नित, नित पत्नी की रोली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
देख दुर्दशा भारत भू की लाल लाडला माँ का ,
केसरिया बाना धारण कर निकला करने साका ,
केसर की क्यारी पर उसने अपना लहू बहाया ,
पर भारत के अंग भंग को फिर भी बचा न पाया !
पर दुःख कातर आँखें मूँदीं, गयीं न फिर जो खोली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
श्वेत संदेशा शांति सुरक्षा का पूरब को देकर ,
शान्ति दूत कहलाये दुनिया भर में वीर जवाहर ,
गैरों ने भी बात मान ली किन्तु देश बहरा है ,
इसमें शान्ति न ला पाये हाँ बापू जी भी मर कर !
आग बुझी बाहर की लेकिन जलती घर में होली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
किरण
बहुत ही सुंदर..होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंउस समय में लिखी रचना आज भी प्रासंगिक है ...यही सब तो हो रहा है ...भावभीनी रचना
जवाब देंहटाएंकुछ रचनाएँ हमेशा प्रासंगिक ही लगती हैं ...
जवाब देंहटाएंभारत की होली आज भी वैसी ही है ...
आभार इस प्रस्तुति के लिए !
गजब की रचना है.
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव छिपे हैं |बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआशा
aise me kya holi ... per holi hai to ek chutki abeer aapko
जवाब देंहटाएंआज भी उतनी ही प्रासंगिक्……………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
श्वेत संदेशा शांति सुरक्षा का पूरब को देकर ,
जवाब देंहटाएंशान्ति दूत कहलाये दुनिया भर में वीर जवाहर ,
गैरों ने भी बात मान ली किन्तु देश बहरा है ,
इसमें शान्ति न ला पाये हाँ बापू जी भी मर कर !
आग बुझी बाहर की लेकिन जलती घर में होली ,
सतरंगी चूनर ओढ़े आई भारत में होली !
बहुत ही गहन भाव..बहुत सुन्दर और आज भी समसामयिक..होली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएं--
उनको रंग लगाएँ, जो भी खुश होकर लगवाएँ,
बूढ़ों और असहायों को हम, बिल्कुल नहीं सताएँ,
करें मर्यादित हँसी-ठिठोली।
आओ हम खेलें हिल-मिल होली।।
--
होलिकोत्सव की शुभकामनाएँ!
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंholi ki shubhkaamnaae....
जवाब देंहटाएंइस होली गीत में तमाम विषयों को उठाया गया ,बधाई
जवाब देंहटाएंसुरक्षित , शांतिपूर्ण और प्यार तथा उमंग में डूबी हुई होली की सतरंगी शुभकामनायें ।
बहुत सुंदर..होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..होली की शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंजी वाकई लग रहा है जैसे अभी ही लिखी गयी हो ये रचना ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
माताजी की रचना एकदम सामयिक और प्रासंगिक है , कुछ नहीं बदला . रंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंहरे रंग की चूनर में पीला नीला रंग भर कर ,
जवाब देंहटाएंनये राष्ट्र की नयी नीति निकली अगणित कर लेकर ,...
क्या सांजस्य बैठाया है रंगों और करों में ...
आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
रचना आज को भी परिलक्षित कर रही है ..बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंचर्चामंच पर आपकी शुभकामनाओं का बहुत शुक्रिया साधना जी!
बहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।