सोमवार, 7 मार्च 2011

क्षणिकायें


समय के साथ जीवन में नया ही मोड़ आता है,
हृदय पट पर अनेकों घाव सुख के छोड़ जाता है,
कहाँ तक हम इन्हें भूलों में बहलाते रहें साथी ,
किसीका स्वप्न सारे बंधनों को तोड़ जाता है |



आज अभावों की ज्वाला में झुलसा हर इंसान रो दिया,
अन्वेषण से थक नयनों ने भू में करुणा पुन्ज बो दिया,
कुछ ऐसे मौसम में साथी यह खेती लहलहा उठी है,
जग ने निर्ममता अपना ली, मानवता ने प्यार खो दिया !



जीवन है अभाव की मंजिल, नहीं तृप्ति की परिभाषा,
है अतृप्ति की सफल शिखरिणी चिर अभिशापित अभिलाषा !


किरण

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं ...

    कुछ चेतावनी सी देती हुई ...

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  2. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  3. बहुत ही गहन भाव व्यक्त करती अर्थपूर्ण क्षणिकाएं

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  4. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
    आशा

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  5. बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं|धन्यवाद|

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  6. यूँ तो जीवन की सच्चाई बार बार कही जाती और सुनी जाती है ..जीवन क्या है ? सुख और दुःख का मेला .. हर कोई अपने अभावों से जूझता हुआ अकेला .... हर किसी के पास अपने घाव हैं , जख्म हैं ... कौन किसके जख्मो पर मरहम लगाता हैं ? .... इसी सच्चाई को आपने खूबसूरत शब्दों में , कह कर दिल जीत लिया .... best wishes ...

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  7. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  8. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 08-03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  9. सुंदर ओर भाव पुर्ण क्षणिकाएं!!

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  10. सुख-दुःख,तृप्ति-अतृप्ति,अभिलाषा-अभाव इन सबके
    साथ ही है मानव-जीवन की यात्रा......!!

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  11. जग ने निर्ममता अपना ली , मानवता ने प्यार खो दिया ...
    खोया हुआ लौटा लाने में महती भूमिका महिलाओं की ही तो होगी ...
    अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनायें !

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  12. सत्य वचन..
    जीवन की सच्चाई को दर्शाती पंक्तियाँ..

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  13. समय के साथ जीवन में नया ही मोड़ आता है,
    हृदय पट पर अनेकों घाव सुख के छोड़ जाता है,
    kya sundar soch hai,kitne sundar bhaw hain.....kuch kah hi nahin paa rahi hoon.wah....bas.

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  14. समय के साथ जीवन में नया ही मोड़ आता है,
    हृदय पट पर अनेकों घाव सुख के छोड़ जाता है,
    कहाँ तक हम इन्हें भूलों में बहलाते रहें साथी ,
    किसीका स्वप्न सारे बंधनों को तोड़ जाता है ...

    बहुत लाजवाब छंद है ... जीवन की कुछ पल ऐसे भी होते हैं ...
    .

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  15. आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
    महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना

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  16. जीवन है अभाव की मंजिल, नहीं तृप्ति की परिभाषा,
    है अतृप्ति की सफल शिखरिणी चिर अभिशापित अभिलाषा !...

    क्षणिकायें बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हैं....

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  17. जीवन है अभाव की मंजिल, नहीं तृप्ति की परिभाषा,
    है अतृप्ति की सफल शिखरिणी चिर अभिशापित अभिलाषा !


    Bahut sateek kaha hai aapne.aapki lekhni bahut sashakt hai aur shabdon ke prayog ki vidha anoothi.
    Bahut accha laga padh kar.Virle aaj kal aisi rachnayen milti hain padhne ko. sab padh raha dheere dheere..vilamb se aapko padhne ka dukh hai.

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