आई थी मैं बड़े प्रात ही
लेकर पूजा की थाली,
फैला रहे क्षितिज पर दिनकर
अपनी किरणों की जाली !
उषा अरुण सेंदुर से अपने
मस्तक का श्रृंगार किये,
चली आ रही धीरे-धीरे
प्रिय पूजा का थाल लिये !
मैं भी चली पूजने अपने
प्रियतम को मंदिर की ओर,
आशा अरु उत्साह भरी थी
नाच रहा था मम मन मोर !
पहुँची प्रियतम के द्वारे पर
किन्तु हाय यह क्या देखा,
मंदिर के पट बंद हाय री
मेरी किस्मत की लेखा !
उषा मुस्कुराती थी लख कर
मेरी असफलता भारी,
लज्जा से मैं गढ़ी हुई थी
कुचल गयी आशा सारी !
किरण
प्रणाम साधना जी....बहुत ही सुंदर कविता...क्या शब्द चयन है,क्या भाव है....बहुत ही सुंदर अतिसुंदर,,,,आपकी लेखनी में जादू है।
जवाब देंहटाएंउषा मुस्कुराती थी लख कर
जवाब देंहटाएंमेरी असफलता भारी,
लज्जा से मैं गढ़ी हुई थी
कुचल गयी आशा सारी !
वाह जी बहुत खुब बहुत सुंदर.
धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंशब्द चयन और प्रस्तुतीकरण ने कविता को अर्थपूर्ण बना दिया है ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....लेकिन माताजी ने न जाने कौन से निराशाजनक पलों में लिखी होगी ...नहीं तो हमेशा सकारात्मक रचनाएँ ही पढने को मिली हैं ...
जवाब देंहटाएंकभी कभी आशा निराश भी तो करती ही है ..:)
shabdon ka chayan ek utkrisht mala ka abhaas deti hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंआपकी मता जी की रचनाएं बेमिसाल है!
जवाब देंहटाएंयह रचना तो बहुत ही सुन्दर है!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
utkrisht aur bemisal rachnaaye aapke maadhyam se hame mil pati hain. dhanywad.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण प्रस्तुति |बहुत सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंआशा
उषा मुस्काती थी लाख कर ...मेरी असफलता भारी ...
जवाब देंहटाएंनिराशा में भी अच्छी कविता ..
आभार !
सुंदर कल्पना -
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना -
शुभकामनाएं -
बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआभार।
bahut achchi lagi matajee ki kavita.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति.....सुंदर रचना -
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat rachna!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण खू्बसू्रत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
उषा मुस्कुराती थी लख कर
जवाब देंहटाएंमेरी असफलता भारी,
लज्जा से मैं गढ़ी हुई थी
कुचल गयी आशा सारी !
aapki iss asafalta me bhi pyar chhipa hai...
nav-varsh ki subh kamnayen!!
regards