शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

प्रियागमन

प्रियतम तव दर्शन आशा से
खोले हृदय कुटी के द्वार ,
सोच रही थी कब वे आवें
करूँ तभी मन भर मनुहार !

भरा हुआ उत्साह हृदय में
दर्श लालसा का उन्माद ,
उत्कण्ठा थी प्रति पल-पल पर
मन आँखों में वाद विवाद !

होती यह जिज्ञासा मन में
प्रिय भेंटेंगे पहले मुझसे ,
नयन बोल उट्ठे, "पागल मैं
देखूँगा पहले तुझसे !"

किन्तु रह गये नयन देखते
मन मंदिर प्रिय पहुंचे आज ,
हुआ प्रकाशित सूना मंदिर
बोल उठे वीणा के साज !

विस्मित हुए नयन प्रिय भीतर
कब पहुँचे कर हमको पार ,
हृदय कुटी के द्वारपाल से
झगड़ रहे थे बारम्बार !

किरण

18 टिप्‍पणियां:

  1. किन्तु रह गये नयन देखते
    मन मंदिर प्रिय पहुंचे आज ,
    हुआ प्रकाशित सूना मंदिर
    बोल उठे वीणा के साज !
    alankrit ras se purn rachna

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  2. मोहक शब्दों के द्वार पर
    प्रिय का स्वागत .... बहुत ही सुसंस्कृत भाव

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  3. waah bahut sunder rachna jo jhankrit, ullasit aur vismit kiye jati hai aur bar bar padhne ko udvelit bhi.

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  4. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  5. होती यह जिज्ञासा मन में
    प्रिय भेंटेंगे पहले मुझसे ,
    नयन बोल उट्ठे, "पागल मैं
    देखूँगा पहले तुझसे !"

    बहुत ही सुन्दर सम्प्रेषण.....थोड़ा नटखट...थोड़ा इतराता हुआ प्रिय मिलन को बेचैन मन

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  6. वाह जी क्या बात हे प्रियतम को मनाने के लिये मन पागल सा हो गया हे, बहुत सुंदर धन्यवाद

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  7. किन्तु रह गये नयन देखते
    मन मंदिर प्रिय पहुंचे आज ,
    हुआ प्रकाशित सूना मंदिर
    बोल उठे वीणा के साज !
    बहुत सुन्दर। प्रेमरस मे मन के भावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं बधाई साधना जी।

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  8. विस्मित हुए नयन प्रिय भीतर
    कब पहुँचे कर हमको पार ,
    हृदय कुटी के द्वारपाल से
    झगड़ रहे थे बारम्बार !

    इस रचना की किन शब्दो मे तारीफ़ करूँ…………दो भाव समाहित है इस कविता मे और दोनो ही गज़ब्……………चाहे प्रियतम का प्रेम हो या कान्हा की प्रीत्।

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  9. किन्तु रह गये नयन देखते
    मन मंदिर प्रिय पहुंचे आज ,
    हुआ प्रकाशित सूना मंदिर
    बोल उठे वीणा के साज !

    बहुत सुन्दर...कोमल भाव और कविता का प्रवाह अपने साथ बहा लेजाता है..आभार

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  10. होती यह जिज्ञासा मन में
    प्रिय भेंटेंगे पहले मुझसे ,
    नयन बोल उट्ठे, "पागल मैं
    देखूँगा पहले तुझसे !"


    बहुत सुन्दर भाव...

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  11. ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच इसे आनद रस में डुबो गए..

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  12. होती यह जिज्ञासा मन में
    प्रिय भेंटेंगे पहले मुझसे ,
    नयन बोल उट्ठे, "पागल मैं
    देखूँगा पहले तुझसे !"

    बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ...भाव विभोर करने वाली रचना

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  13. "समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को
    "मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

    ()”"”() ,*
    ( ‘o’ ) ,***
    =(,,)=(”‘)<-***
    (”"),,,(”") “**

    Roses 4 u…
    MERRY CHRISTMAS to U…

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  14. आपका ये गीत गुनगुनाने लायक है. बधाई.

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