माँ की डायरी से परम श्रद्धेय गुरू तेग बहादुर जी
को यह विनम्र एवं भावभीनी श्रद्धांजलि !
तेरे ऐसे रत्न हुए माँ जिनकी शोभा अनियारी,
तेरे ऐसे दीप जले माँ जिनकी शाश्वत उजियारी !
तव बगिया के वृक्ष निराले, अमिट सुखद जिनकी छाया,
ऐसे राग बनाए तूने जिन्हें विश्व भर ने गाया !
तेरे ताल, सरोवर, निर्झर शीतल, निर्मल नीर भरे,
तेरे लाल लाड़ले ऐसे जिन पर दुनिया गर्व करे !
रत्न खान पंजाब भूमि ने ऐसा दीप्त रत्न पाया,
जिसके सद्गुण की आभा से जग आलोकित हो आया !
आनंदपुर ने दीप सँजोया जिसकी ज्योति जली अवदात,
वर्ष तीन सौ बीत चुके पर स्वयम् प्रकाशित है दिन रात !
ऐसा वह वटवृक्ष निराला जिसकी छाया सुखदायी !
सिसक रही मानवता उसके आँचल में जा मुस्काई !
पंच महानद की लहरों से ऐसा गूँजा अद्भुत राग,
मृत जनजीवन के प्रति जागा मानव मन में नव अनुराग !
जिसने ज्ञान सरोवर में अवगाहन कर मन विमल किया,
धन्य लाल वह तेरा माँ जिसने सर देकर 'सी' न किया !
जिसने धर्म ध्वजा फहराई जिसने रक्खा माँ का मान,
दीन दुखी जन के रक्षण में जिसने प्राण किये कुर्बान !
दानवता अविचार मिटाने जिसकी तेग चली अविराम,
तेग बहादुर गुरू चरणों में अर्पित कोटि कोटि परनाम !
किरण
तेग बहादुर गुरू के चरणो मे नमन्।
जवाब देंहटाएंगुरु तेग बहादुर जी को नमन ..और कवित्तो हमेशा की तरह उत्कृष्ट है ..
जवाब देंहटाएंगुरु तेग बहादुर को नमन .. bahut hi lajawaab shabdon mein guru charnon mein vandana है ....
जवाब देंहटाएंगुरु तेग बहादुर जी को नमन......
जवाब देंहटाएं"जिसने धर्म ध्वजा फहराई -----------गुरु चरणों में अर्पित
जवाब देंहटाएंकोटि कोटि परनाम "
एक भावपूर्ण रचना |
आशा
गुरु तेग बहादुर जी को नमन ..bahut sunder rachna.
जवाब देंहटाएंदानवता अविचार मिटाने जिसकी तेग चली अविराम,
जवाब देंहटाएंतेग बहादुर गुरू चरणों में अर्पित कोटि कोटि परनाम !
नमन!!!