कौन सा नव गान गाऊँ !
हैं सभी स्वर लय पुराने
कौन सी नव गत बजाऊँ !
कौन सा नव गान गाऊँ !
श्याम अलकों में छिपाये
चँद्रमुख वह रजनि आती,
तारकों से माँग भर कर
स्वप्न जीवन में सजाती,
वह सुखी है,प्रिय,दुखी उर
मैं उसे कैसे दिखाऊँ !
कौन सा नव गान गाऊँ !
चरण अंकित कर महावर
से उषा सुन्दरि सुहागन,
पूजने आती दिवाकर
हृदय में ले साध अनगिन,
भावना के लोक से
कैसे उसे मैं बाँध लाऊँ !
कौन सा नव गान गाऊँ !
प्रिय मिलन को जा रही सरि
आश के दीपक सजाये,
खिलखिलाती लहरियों में
नूपुरों के स्वर मिलाये,
वह अलस मस्ती कहाँ से
व्यथित उर में साध पाऊँ !
कौन सा नव गान गाऊँ !
किरण
भावमयी सुन्दर रचना ...किरण जी की लेखनी को नमन
जवाब देंहटाएंकिरणजी का यह गीत बेहद मनोहारी है लेकिन एक जिज्ञासा है कि यह नव गत क्यों होता है। आपने लिखा है कि कौन सी नव गत बजाऊँ? नौबत तो सुनी थी। कृपया स्पष्
जवाब देंहटाएंट करें।
सुन्दर गीत। शाय्द अजित जी के सवाल का जवाब इन पँक्तिओं मे है
जवाब देंहटाएंकौन सा नव गान गाऊँ !
हैं सभी स्वर लय पुराने
कौन सी नव गत बजाऊँ !
कौन सा नव गान गाऊँ !
सभी स्वर लय पुराने तो नव गीत कैसे बनेगा। बहुत खूब। शुभकामनायें।
इस लय बद्ध गीत से मन झूम उठा। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंदेसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
अजीत जी गीत की सराहना के लिये धन्यवाद ! वाद्य यंत्रों पर राग रागिनियों की जो धुन बजाई जाती है उसे गत कहते हैं ! यह मैं अपने अल्प ज्ञान के आधार पर कह रही हूँ ! आप किसी संगीतज्ञ से इसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकती हैं ! 'उन्मना' पर आने के लिये आपका पुन: धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबेहद लयबद्ध और सुन्दर गीत्।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सा गीत है...बिलकुल गाया जा सके...इतना लयबद्ध..
जवाब देंहटाएंसरस गीत। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें