अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !
न होती उदय अस्त की नाट्य लीला,
सदा खिलखिलाते यहाँ पर सितारे,
न मुँदती कभी पंखुड़ी पंकजों की,
न चुगता चकोरा कभी भी अंगारे,
न रोती कभी चंद्रिका सिर पटक कर,
न होते कभी भी वियोगी दुखारे,
न चकवा वियोगी बना घूमता यों,
न चकवी ह्रदय फाड़ रोती कभी भी !
अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !
कलंकी न होते अगर इस धरा पर
कलंकी उसे कोई तब तो बताता,
यहाँ पापियों की सदा सृष्टि होती
कथा पाप की कौन उसको सुनाता,
पिलाती न अमृत यहाँ मोहिनी यों,
न बन राहू केतु कोई भी सताता,
न होता अगर दैव, दुःख भी न होता,
कला क्षीण प्रतिदिन न होती कभी भी !
अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !
न सूरज प्रभा छीन सकता था उसकी,
न बादल कभी आ उसे यों छिपाते,
न सागर में उठता कभी ज्वार भाटा,
न कविगण उसे निर्दयी ही बताते,
न होता खिलौना किसी के लिए वह,
न कह वक्र कोई उसे यों सताते,
लुटा पूर्णिमा पर अतुल ज्योति उसकी
न रजनी खड़ी खिलखिलाती कभी भी !
अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !
यहाँ पूर्णिमा ही सदा जगमगाती,
सदा रास मोहन यहाँ पर रचाते,
सदा चंद्रवदनी सुघर नायिका को
नई एक उपमा से कविगण सजाते,
सरस, स्निग्ध, शीतल सुधा नित बरसती,
अन्धेरा न होता, न यों दुःख उठाते,
सदा दिव्य जीवन यहाँ मुस्कुराता,
उदासी यहाँ पर न छाती कभी भी !
अगर चाँद आता उतर कर धरा पर
अमावस अभागन न आती कभी भी !
किरण
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण कविता |शब्दों का चयन बहुत खूबसूरत |
जवाब देंहटाएंआशा
Aapki rachnaon pe tippani dene ki himmat kam kar pati hun...aksar nishabd ho jati hun..
जवाब देंहटाएंकितनी सादगी से चाँद का धरती पर आने के बाद का हाल लिख दिया है ...सुन्दर शब्द संयोजन...बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंअनावस अभागिन न होती बहुत उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंशेष फिर (मेरी कविताओं का ब्लाग पर आपका स्वागत है
)
डा.अजीत
www.shesh-fir.blogspot.com
www.monkvibes.blogspot.com
गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएं