मंगलवार, 6 सितंबर 2011

सखी युग ने करवट बदली

सखी युग ने करवट बदली !

आज नया यह पुण्य प्रभात ,
आज प्रफुल्लित है उर गात ,
घटा शोक, संताप, विषाद ,
छाया सुखद मधुर आल्हाद ,
भाग्य सूर्य भारत का चमका फटी दुखों की बदली !
सखी युग ने करवट बदली !

आज हमारा सच्चा देश ,
आज हमारा सच्चा वेश ,
दूर हुआ सब कोढ़ कलंक ,
मिटा व्यर्थ का भय आतंक ,
भारत के निर्मल सागर से हटी सरित वह गँदली !
सखी युग ने करवट बदली !

आओ मंगल साज सजें सखि ,
घर-घर मंगल वाद्य बजें सखि ,
दूर करें ईसा सम्वत्सर
नव सम्वत्सर आज लिखें सखि ,
पूजें विजय देवी हर्षित हो चढ़ा आम्रफल कदली !
सखि युग ने करवट बदली !

किरण




19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई|

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  2. गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना.

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  3. दूर करें ईसा सम्वत्सर
    नव सम्वत्सर आज लिखें सखि ,

    काश आज हम यह कह पाते ... कितनी सुन्दर तस्वीर देखी थी भारत की ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  4. वाह ...बहुत ही बढि़या शब्‍द रचना ।

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई.......

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  6. बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति। काश ऐसा हो जाता।

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  7. नयी किरण मुस्काई ...नयी रोशनी आई ....!!

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  8. बहुत ही सुन्दर कविता...
    काश युग फिर से करवट बदले...

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  9. मन को छूती भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  10. बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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  11. अहह काश..
    बहुत सुन्दर तस्वीर उकेरी है.

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  12. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
    --- -- -- -- --
    पत्त्त्वेशकायो नमस्ते-नमस्ते ||

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  13. आदरणीय साधना वैद जी
    सादर प्रणाम
    जानकारी के अभाव में आपकी माता जी की रचना को आपकी रचना समझा गया , गलती सुधार के लिए धन्यवाद , आगे से ध्यान रखा जाएगा , वैसे यदि आप ब्लॉग पर भी इसका संकेत दें तो बेहतर होगा , हालांकि आपने माता जी का परिचय अवश्य दिया है लेकिन उससे स्पष्ट नहीं होता है की इस ब्लॉग पर किसकी रचनाएं हैं

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  14. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई|....

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