करूँ प्रसन्न तुम्हें मैं कैसे
क्या दूँ मैं प्रियतम उपहार ,
दीन हीन, तन क्षीण भिखारिन
मैं, प्रभु हो तुम रत्नागार !
पुष्प करूँ यदि भेंट दयामय
नंदन वन है यहाँ कहाँ ,
दीपक भेंट करूँ यदि तुमको
सूर्य ज्योत्सना नहीं यहाँ !
वस्त्र नहीं दे सकती प्रभुवर
मिलें कहाँ से वे पट पीत ,
माखन मिश्री भोजन हित मैं
पाऊँ कैसे मेरे मीत !
लक्ष्मी माता अर्द्धांगिनी हैं
पैसा भेंट करूँ कैसे ,
मेरे पास नहीं कुछ है प्रभु
दीन सुदामा हूँ जैसे !
सभी वस्तु की खान तुम्हीं हो
क्या दूँ भेंट प्रभु तुमको ,
एक वस्तु तव पास नहीं है
अति आनंद यही मुझको !
हृदय कमल तो चुरा लिया है
राधा रानी ने तेरा ,
रिक्त पड़ा अब तक वह स्थल
वहाँ बिठा लो मन मेरा !
कभी न ये आहें आवाजें
कान तुम्हारे पड़ती हैं ,
अति आरत हो तभी धरिणी माँ
दुःख से थर-थर कँपती है !
हृदय रहेगा पास तुम्हारे
तो सबकी सुन लोगे खूब ,
अभी असर नहीं होता होगा
जाते होगे सबसे ऊब !
उर की चाह तुम्हें है भगवन्
धन की चाह लगी मुझको ,
भक्ति सम्पदा मुझको दे दो
यह उर भेंट प्रभो तुमको !
किरण
क्या दूँ मैं प्रियतम उपहार ,
दीन हीन, तन क्षीण भिखारिन
मैं, प्रभु हो तुम रत्नागार !
पुष्प करूँ यदि भेंट दयामय
नंदन वन है यहाँ कहाँ ,
दीपक भेंट करूँ यदि तुमको
सूर्य ज्योत्सना नहीं यहाँ !
वस्त्र नहीं दे सकती प्रभुवर
मिलें कहाँ से वे पट पीत ,
माखन मिश्री भोजन हित मैं
पाऊँ कैसे मेरे मीत !
लक्ष्मी माता अर्द्धांगिनी हैं
पैसा भेंट करूँ कैसे ,
मेरे पास नहीं कुछ है प्रभु
दीन सुदामा हूँ जैसे !
सभी वस्तु की खान तुम्हीं हो
क्या दूँ भेंट प्रभु तुमको ,
एक वस्तु तव पास नहीं है
अति आनंद यही मुझको !
हृदय कमल तो चुरा लिया है
राधा रानी ने तेरा ,
रिक्त पड़ा अब तक वह स्थल
वहाँ बिठा लो मन मेरा !
कभी न ये आहें आवाजें
कान तुम्हारे पड़ती हैं ,
अति आरत हो तभी धरिणी माँ
दुःख से थर-थर कँपती है !
हृदय रहेगा पास तुम्हारे
तो सबकी सुन लोगे खूब ,
अभी असर नहीं होता होगा
जाते होगे सबसे ऊब !
उर की चाह तुम्हें है भगवन्
धन की चाह लगी मुझको ,
भक्ति सम्पदा मुझको दे दो
यह उर भेंट प्रभो तुमको !
किरण
बहुत ही भक्ति-भाव से परिपूर्ण उत्तम गीत...
जवाब देंहटाएंरिक्त पड़ा अब तक वह स्थल
जवाब देंहटाएंवहाँ बिठा लो मन मेरा !
सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई ||
पत्र पुष्पं फलं तोयं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही भक्ति-भाव से परिपूर्ण प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंKya gazab kee rachana hai!
जवाब देंहटाएंवाह वाह गज़ब की भावाव्यक्ति पूर्ण समर्पण से सराबोर एक चाहत को बहुत खूबसूरती से बांधा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त कविता और शब्द चयन |
जवाब देंहटाएंआशा
भक्ति सम्पदा मुझको दे दो
जवाब देंहटाएंयह उर भेंट प्रभो तुमको !
उर भेंट,तो सब भेंट.
भगवान तो ख़ुश हो ही जायेंगे.
jabardast rachna.
जवाब देंहटाएंaabhaar aapka itni amuly nidhi ham tak pahuchane ke liye.
हृदय कमल तो चुरा लिया है
जवाब देंहटाएंराधा रानी ने तेरा ,
रिक्त पड़ा अब तक वह स्थल
वहाँ बिठा लो मन मेरा !
सुन्दर भाव....
ईश्वर को कुछ नहीं चाहिए ..प्रेम भरा हृदय बहुत है .. किरण जी की हर रचना अतुलनीय होती है ... अनुपम ताचना पढवाने का आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भक्ति गीत ....
जवाब देंहटाएंअसाधारण !
आग कहते हैं, औरत को,
जवाब देंहटाएंभट्टी में बच्चा पका लो,
चाहे तो रोटियाँ पकवा लो,
चाहे तो अपने को जला लो,
बहुत ही भक्ति-भाव से परिपूर्ण प्रस्तुति|
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