सोमवार, 12 सितंबर 2011

आये बिन बनेगी ना

हिन्दी भाषा के उत्थान के लिये मेरी माँ उस युग में भी कितनी व्यग्र थीं ज़रा उसकी बानगी देखिये उनकी इस रचना में !


बिन सूत्रधार हुए आपके हे यदुनाथ
हिन्दू जाति उच्चता को प्राप्त अब करेगी ना ,

सो रही जो वर्षों से अज्ञानता की नींद में
बिन चौकीदार के जगाये वह जगेगी ना ,

भूल चुकी संस्कृत, बिसार चुकी हिन्दी जो
बिन सिखलाये 'कैट' 'रैट' ज़िद से हटेगी ना ,

इसलिये पुकार कर ये कहती 'ज्ञान' बार-बार
नाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना !


किरण

11 टिप्‍पणियां:

  1. नाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
    आपको बहुत बहुत बधाई ||

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  2. इसलिये पुकार कर ये कहती 'ज्ञान' बार-बार
    नाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना !

    गहन भावों का सुंदर सम्प्रेषण ...आपका आभार

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  3. अनमोल वचन ...आभार ह्रदय...
    बात बनाने की बेहतरीन जिद .....
    हम भी उस धारा में सम्मिलित.....!!

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  4. सच कहा,
    हिन्दी अब तो आनी होगी,
    कब तक वही कहानी होगी।

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  5. भूल चुकी संस्कृत, बिसार चुकी हिन्दी जो
    बिन सिखलाये 'कैट' 'रैट' ज़िद से हटेगी ना ,

    हटनी चाहिए थी ..पर अभी भी कैट- रैट ही आगे हैं ..

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  6. बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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  7. बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति|धन्यवाद|

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  8. हिन्दी हमारी भाषा है |
    इसका अपना महत्व है |
    यह पहले भी था आज भी है |
    बहुत अच्छी प्रस्तुति |

    आशा

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  9. ख़ूबसूरत आवाहन !
    शुभकामनायें आपको !

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  10. बहुत बढ़िया प्रस्तुति, ख़ूबसूरत आवाहन !.....

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