हिन्दी भाषा के उत्थान के लिये मेरी माँ उस युग में भी कितनी व्यग्र थीं ज़रा उसकी बानगी देखिये उनकी इस रचना में !
बिन सूत्रधार हुए आपके हे यदुनाथ
हिन्दू जाति उच्चता को प्राप्त अब करेगी ना ,
सो रही जो वर्षों से अज्ञानता की नींद में
बिन चौकीदार के जगाये वह जगेगी ना ,
भूल चुकी संस्कृत, बिसार चुकी हिन्दी जो
बिन सिखलाये 'कैट' 'रैट' ज़िद से हटेगी ना ,
इसलिये पुकार कर ये कहती 'ज्ञान' बार-बार
नाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना !
किरण
बिन सूत्रधार हुए आपके हे यदुनाथ
हिन्दू जाति उच्चता को प्राप्त अब करेगी ना ,
सो रही जो वर्षों से अज्ञानता की नींद में
बिन चौकीदार के जगाये वह जगेगी ना ,
भूल चुकी संस्कृत, बिसार चुकी हिन्दी जो
बिन सिखलाये 'कैट' 'रैट' ज़िद से हटेगी ना ,
इसलिये पुकार कर ये कहती 'ज्ञान' बार-बार
नाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना !
किरण
नाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
आपको बहुत बहुत बधाई ||
इसलिये पुकार कर ये कहती 'ज्ञान' बार-बार
जवाब देंहटाएंनाथ अब भारत में आये बिन बनेगी ना !
गहन भावों का सुंदर सम्प्रेषण ...आपका आभार
अनमोल वचन ...आभार ह्रदय...
जवाब देंहटाएंबात बनाने की बेहतरीन जिद .....
हम भी उस धारा में सम्मिलित.....!!
सच कहा,
जवाब देंहटाएंहिन्दी अब तो आनी होगी,
कब तक वही कहानी होगी।
भूल चुकी संस्कृत, बिसार चुकी हिन्दी जो
जवाब देंहटाएंबिन सिखलाये 'कैट' 'रैट' ज़िद से हटेगी ना ,
हटनी चाहिए थी ..पर अभी भी कैट- रैट ही आगे हैं ..
बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहिन्दी हमारी भाषा है |
जवाब देंहटाएंइसका अपना महत्व है |
यह पहले भी था आज भी है |
बहुत अच्छी प्रस्तुति |
आशा
ख़ूबसूरत आवाहन !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति, ख़ूबसूरत आवाहन !.....
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