आज अभावों की ज्वाला में
झुलसा हर इंसान रो दिया ,
अन्वेषण से थक नयनों ने
भू में करुणा पुन्ज बो दिया ,
कुछ ऐसे मौसम में साथी
यह खेती लहलहा उठी है ,
जग ने निर्ममता अपना ली
मानवता ने प्यार खो दिया !
किरण
झुलसा हर इंसान रो दिया ,
अन्वेषण से थक नयनों ने
भू में करुणा पुन्ज बो दिया ,
कुछ ऐसे मौसम में साथी
यह खेती लहलहा उठी है ,
जग ने निर्ममता अपना ली
मानवता ने प्यार खो दिया !
किरण
chhoti si rachna per gudhta gambheer hai
जवाब देंहटाएंजग ने निर्ममता अपना ली
जवाब देंहटाएंमानवता ने प्यार खो दिया !
कम शब्दों में कटु सत्य उजागर करती एक सार्थक रचना...
मम्मी की नई किताब प्रारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
गागर में सागर..बहुत सार्थक और सुन्दर..
जवाब देंहटाएंसुंदर छंदबद्ध रचना।
जवाब देंहटाएंजग ने निर्ममता अपना ली
जवाब देंहटाएंमानवता ने प्यार खो दिया !
कितनी बड़ी सच्चाई कह दी है इन पंक्तियों में ...
सुंदर ...अर्थपूर्ण प्रभावी अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंमानवता ने प्यार खो दिया ...
जवाब देंहटाएंकुछ कवितायेँ सच का आईना ही होती है !
जग ने निर्ममता अपना ली
जवाब देंहटाएंमानवता ने प्यार खो दिया !
gahan vedna....
bahut sunder abhivyakti .....
वाह अत्यंत भावपूर्ण..
जवाब देंहटाएंकटाछ मानवता पर, सत्यता की अभिव्यक्ति..
chhoti si rachna me sagar si gahrayi hai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंजग ने निर्ममता अपना ली
जवाब देंहटाएंमानवता ने प्यार खो दिया !
अत्यंत भावपूर्ण..
कटाछ मानवता पर, सत्यता की अभिव्यक्ति
कितनी बड़ी सच्चाई कह दी है इन पंक्तियों में
बहुत सार्थक और सुन्दर..
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