ओ अगाध ममता की देवी ओ मेरी भारत माता ,
अन्यायों से नहीं झुकेंगे तेरे वीर कष्ट त्राता !
तेरी भव्य मूर्ति अंकित है जनमानस में अविचल शांत ,
रूप अलौकिक, अभिनव, ज्योतिर्मय मुखमंडल किंचित् श्रांत !
शुभ्र केश राशि पर सज्जित हिम किरीट स्वर्णाभ सुघर ,
है ललाट पर अंकित कुंकुम चर्चित अमरनाथ मंदिर !
गिरी कज्जल की ललित रेख से सज्जित कजरारे नैना ,
काश्मीर की केसर क्यारी से सुरभित मधुरिम बैना !
पञ्च महानद के आभामय मुक्ता तव गलहार बने ,
गुर्जर, बंग वीर रत्नों से गर्वित तव भुजपाश तने !
हरित शालिवन से तेरे धानी आँचल में रत्न जड़े ,
विन्ध्य, सतपुड़ा, नीलगिरी के कटिबंधों से पुष्प झड़े !
महाराष्ट्र, मद्रास, युगल चरणों में गोदावरि नूपुर ,
कृष्णा , कावेरी की पायल में रुनझुन का मधुरिम स्वर !
महादेवी तव युगल चरण को महा सिंधु नित धोता है ,
तेरे इस वैभव पर माता अरि दल सर धुन रोता है !
तेरी रक्षा में बलिवेदी पर चढ़ चले वीर अगणित ,
त्यागी, प्रेमी, धीर, वीर, व्रतधारी, सक्षम, शांत, सुचित !
तेरे इस अक्षय वैभव को चोर चुराने नित आते ,
देख पहरुए सजग, कर्मरत दुखी निराश लौट जाते !
मेरे मन की यह अभिलाषा माँ कैसे मैं बतलाऊँ ,
पूजा की विधि नहीं जानती कैसे मंदिर तक आऊँ !
है इतनी ही साध हृदय की कुछ तेरी पूजा कर लूँ ,
तेरी इस अपरूप माधुरी को अपने उर में भर लूँ !
एक कामना है यह मेरी किसी बेल का फूल बनूँ ,
बलिदानी वीरों की पदरज में अपना नव नीड़ चुनूँ !
किरण
मेरे मन की यह अभिलाषा माँ कैसे मैं बतलाऊँ ,
जवाब देंहटाएंपूजा की विधि नहीं जानती कैसे मंदिर तक आऊँ !
है इतनी ही साध हृदय की कुछ तेरी पूजा कर लूँ ,
तेरी इस अपरूप माधुरी को अपने उर में भर लूँ !
ise padhker bas shraddha mein haath jud gaye
इन कविताओं की जितनी तारीफ़ की जाए कम है।
जवाब देंहटाएंश्रद्धा और देशप्रेम से ओतप्रोत . देशभक्ति की अविरल गंगा बह रही है .
जवाब देंहटाएंहै इतनी ही साध हृदय की कुछ तेरी पूजा कर लूँ ,
जवाब देंहटाएंतेरी इस अपरूप माधुरी को अपने उर में भर लूँ !
kitni sundar kavita hai,padhkar bahut achcha laga.
भावोत्प्रेरक रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
मेरे मन की यह अभिलाषा माँ कैसे मैं बतलाऊँ ,
जवाब देंहटाएंपूजा की विधि नहीं जानती कैसे मंदिर तक आऊँ !
है इतनी ही साध हृदय की कुछ तेरी पूजा कर लूँ ,
तेरी इस अपरूप माधुरी को अपने उर में भर लूँ !
यह कविताएँ पढ़ ऐसा लगता है की मंदिर में आरती हो रही हो ...बहुत सुन्दर
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम से ओतप्रोत
जवाब देंहटाएंमेरे मन की यह अभिलाषा माँ कैसे मैं बतलाऊँ ,
जवाब देंहटाएंपूजा की विधि नहीं जानती कैसे मंदिर तक आऊँ !
बहुत ही भावविह्वल कर देने वाली रचना
किन शब्दों में शुक्रिया अदा करूँ...इतनी सुन्दर रचनाएं नियमित पढवाते रहने का...
बहुत बहुत आभार
भावोत्प्रेरक रचना|
जवाब देंहटाएंरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
बेहद भावपूर्ण कविताये प्रस्तुत करने के लिए बधाई, ये कार्य हमेशा जारी
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