सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

कवि तुम युग-युग के प्रतीक

कवि की वाणी के सौरभ से
सुरभित युग-युग के हैं कण-कण,
कवि की कविता से हरे भरे
रहते जन-जन के तन मन धन !

कवि भाव सुमन यों पुन्ज-पुन्ज
खिल उठे कल्पना लतिका में,
ज्यों नील गगन, चन्दा, तारे
प्रतिबिम्बित हों सुर सरिता में !

कवि के बंधन में बँधे हुए
हैं मेघ, पवन, ऋतु, काल सभी,
कवि के इंगित पर डोल उठे
इस प्रकृति नटी के बाल सभी !

कवि ने रति की नयनांजलि से
शिव की प्रतिमा को पिघलाया,
कवि ने लव कुश की वीणा से
रघुकुल के पति को दहलाया !

कवि की ही सफल प्रेरणा वह
जिसने गौरी का मान हना,
कवि की ही धन्य भावना वह
जो दुखी हृदय का त्राण बना !

कवि की कविता ने महलों में
रस रंग सुधा भी बिखरा दी,
कवि की ही कविता ने वसुधा
अरि के शोणित से पखरा दी !

कवि की वाणी ने दिला दिया
भारत माँ का उजड़ा गौरव,
कवि की फुलवारी से बिखरा
स्वातंत्र्य सुमन का शुचि सौरभ !

कवि ही मानव के अंतर से
करुणा धारा जग में लाया,
कवि ने इतिहास बदल डाले
कवि ने बदली युग की काया !

कवि कृति के हेम वर्ण होते
शारद के मस्तक के सुटीक,
वह धन्य धरा वह धन्य गगन
हों जिसके कवि युग के प्रतीक !


किरण

9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद ख़ूबसूरत कविता...ये कवि ही हैं जो दुसरो के दुख से द्रवित हो ऐसी रचना कर डालते हैं जिसमे अपनी भावनाओं का अक्स नज़र आने लगता है.

    कवि-मन के उदगार से जन-मानस जुड़ जाता है...कभी उनके सुख में सुखी...तो उनके दुख में दुखी हो जता है...और कभी उनकी पुकार पर दुर्गम से दुर्गम कार्य भी करने को प्रेरित हो उठाता है.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द कवि मन को खूब लिखा है आपने ...बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

  3. कवि ने इतिहास बदल डाले
    कवि ने बदली युग की काया !
    गज़ब की खूबसूरत एवं संग्रहणीय रचना है ! बधाई स्वीकारें !

    जवाब देंहटाएं
  4. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर विचारों से ओतप्रोत कविता |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. कवि ने इतिहास बदल डाले , वे होते हैं युग के प्रीक ..
    बहुत सुन्दर विचार!

    जवाब देंहटाएं