रविवार, 29 अगस्त 2010

* आँसू से भीगा आँचल *

मैं लिये हाथ में बैठी आँसू से भीगा आँचल !

जब संध्या की बेला में
उड़ती चिड़ियों की पाँतें,
कर याद हाय रो पड़ती
बीते युग की वो बातें,
जब तुम मुझसे कुछ कहते
मैं लज्जा से झुक जाती,
मेरी अलकों की लड़ियाँ
कानों के कंगना बाती,
बस इसीलिये तो उठता
यह ज्वार ह्रदय में उच्छल !

मैं लिये हाथ में बैठी आँसू से भीगा आँचल !

सोते नीड़ों में पंछी
पंखों में चंचु छिपाए,
आँसू की माल पिरोती
मैं मन में पीर बसाए,
तुम भूल गए परदेसी
उस शरद यामिनी के क्षण,
जब किरण उज्ज्वला आकर
सिंचित कर जाती तन मन,
ये दृश्य अभी भी चित्रित
है ह्रदय पटल पर अविकल !

मैं लिये हाथ में बैठी आँसू से भीगा आँचल !

मधु ऋतु की मधुरिम संध्या
की याद ह्रदय में आती,
तुम कुंजों में जा छिपते
मैं एकाकी डर जाती,
व्याकुल उर की विनती सुन
तुम आते मैं मुस्काती,
बतला तो दो कब तक मैं
यूँ मन को रहूँ भुलाती,
टूटी सारी आशायें
टूटा जीने का सम्बल !

मैं लिये हाथ में बैठी आँसू से भीगा आँचल !


किरण

14 टिप्‍पणियां:

  1. तुम कुंजों में जा छिपते
    मैं एकाकी डर जाती,
    व्याकुल उर की विनती सुन
    तुम आते मैं मुस्काती,
    बतला तो दो कब तक मैं
    यूँ मन को रहूँ भुलाती,
    टूटी सारी आशायें
    टूटा जीने का सम्बल !

    किरण जी की हर कविता मन को छूती है ...स्मृतियों में डूब कर लिखी कविता में व्यक्त वेदना मन में कहीं गहरे उतर गयी ....बहुत भावप्रवण रचना ..

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (30/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  3. तुम आते मैं मुस्काती,
    बतला तो दो कब तक मैं
    यूँ मन को रहूँ भुलाती,

    बहुत ही सुन्दर कविता है...इस ब्लॉग पर आकर हिंदी के शब्दों का इतना सुन्दर संयोजन मिलता है...कि मन प्रसन्न हो जाता है

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  4. बहुत सार्थक कविता |मन को छूते भाव लिए रचना |
    आशा

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  5. एक एक आशार खूबसूरत है ..हमेशा आपकी माँ जी की कवितायें मन में भीतर तक छू जाती है.

    आभार इसे पढाने के लिए.

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  6. .
    मैं लिये हाथ में बैठी आँसू से भीगा आँचल !

    भावुक कर देने वाली रचना।
    .

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  7. मधु ऋतु की मधुरिम संध्या
    की याद ह्रदय में आती,
    तुम कुंजों में जा छिपते
    मैं एकाकी डर जाती,

    बहुत ही सुन्दर कविता है
    भावुक कर देने वाली रचना।

    जवाब देंहटाएं
  8. शुद्ध हिंदी और काव्यात्मक विधाओ से भरपूर सुन्दर श्रंगारिक कविता |
    आभार

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  9. "मैं नीर भरी दुःख की बदली ......." आप की कविता भी महान कवयित्री महादेवी वर्मा की याद दिलाती है .

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  10. आप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
    कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
    अकेला या अकेली

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  11. दिल को छू लेने वाली एकाकी से भरपूर रचना....

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