देव तुम्हारी मंजु मूर्ति को
लेकर मैंने प्यार किया,
दुनिया के सारे वैभव को
तव चरणों में वार दिया !
किन्तु अविश्वासी जगती से
छिपा न मेरा प्यार महान्,
पागल कहा किसीने मुझको
कहा किसीने निपट अजान !
कहा एक ने ढोंगी है यह
जग छलने का स्वांग किया,
कहा किसी ने प्रस्तर पर
इस पगली ने वैराग्य लिया !
लख कर मंजुल मूर्ति तुम्हारी
मैंने था सौभाग्य लिया ,
कह दो मेरे इष्ट देव
क्या मैंने यह अपराध किया ?
किरण
बहुत ही सुन्दर भाव! आभार पढ़वाने का.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएं*** हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र की उन्नति।
सुंदर भावों से युक्त एक सशक्त रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
लख कर मंजुल मूर्ति तुम्हारी
जवाब देंहटाएंमैंने था सौभाग्य लिया ,
कह दो मेरे इष्ट देव
क्या मैंने यह अपराध किया ?
सशक्त रचना,खूबसूरत भाव .
सशक्त रचना,खूबसूरत भाव . ........
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