मेरी वीणे कुछ तो बोल !
सुना-सुना कुछ प्रियतम हित ही
मधुमय अमृत घोल !
मेरी वीणे कुछ तो बोल !
मीठे-मीठे राग सुना कर,
प्रियतम के सुन्दर गुण गाकर,
इस व्याकुल से उर की उलझी
गुत्थी को तू खोल !
मेरी वीणे कुछ तो बोल !
उन्हें बुला दे अगम शक्ति से,
राग सुना कर प्रेम भक्ति के,
ओ मेरे जीवन की सहचरी
प्रिय का ह्रदय टटोल !
मेरी वीणे कुछ तो बोल !
विरह गान गाये जीवन भर,
रोयी है तू मुझे रुला कर,
गा मृदु स्वर लय आशा तंत्री
रस में विष मत घोल !
मेरी वीणे कुछ तो बोल !
किरण
सुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंराष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।
वीणा के माध्यम से सभी कुछ तो कह दिया आपने!
जवाब देंहटाएं--
इस सन्देशवाही रचना को पढ़वाने के लिए धन्यवाद!
गा मृदु स्वर लय आशा तंत्री
जवाब देंहटाएंरस में विष मत घोल !
है मुश्किल बहुत विषपान कर अमृत बरसना ...
मगर बन तू नीलकंठ सी ...रस घोल ...
वीणे ...मधुर बोल ..
वाह !
मन की व्यथा के लिए वीणा को माध्यम बना सुंदर कविता रच डाली. बहुत खूबसूरत.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना ...यहाँ हर रचना मंत्रमुग्ध कर देती है ...
जवाब देंहटाएंवीणा के माध्यम से मन को उजागर करती एक सशक्त रचना |
जवाब देंहटाएंआशा