आज गुरु तेगबहादुर का जन्मदिवस है इस पुनीत अवसर पर आनंद उठाइये माँ की इस विशिष्ट श्रद्धांजलि का !
तेरे ऐसे रत्न हुए माँ जिनकी शोभा अनियारी ,
तेरे ऐसे दीप जले माँ जिनकी शाश्वत उजियारी !
तव बगिया के वृक्ष निराले अमिट सुखद जिनकी छाया ,
ऐसे राग बनाये तूने जिन्हें विश्व भर ने गाया !
तेरे ताल, सरोवर, निर्झर शीतल, निर्मल नीर भरे ,
तेरे लाल लाड़ले ऐसे जिन पर दुनिया गर्व करे !
रत्न खान पंजाब भूमि ने ऐसा दीप्त रत्न पाया ,
जिसके सद्गुण की आभा से जग आलोकित हो आया !
आनंदपुर ने दीप सँजोया जिसकी ज्योति जली अवदात ,
वर्ष तीन सौ बीत चुके पर स्वयम् प्रकाशित है दिन रात !
ऐसा वह वटवृक्ष निराला जिसकी छाया सुखदायी ,
सिसक रही मानवता उसके आँचल में जा मुस्काई !
पञ्च महानद की लहरों से ऐसा गूँजा अद्भुत राग ,
मृत जन जीवन के प्रति जागा मानव मन में नव अनुराग !
जिसने ज्ञान सरोवर में अवगाहन कर मन विमल किया ,
धन्य लाल वह तेरा माँ जिसने सिर देकर सी न किया !
जिसने धर्म ध्वजा फहराई जिसने रक्खा माँ का मान ,
दीन दुखी जन के रक्षण में जिसने प्राण किये कुरबान !
दानवता, अविचार मिटाने जिसकी तेग चली अविराम ,
उन गुरु तेग बहादुर के चरणों में अर्पित कोटि प्रणाम !
किरण
तेरे ऐसे रत्न हुए माँ जिनकी शोभा अनियारी ,
तेरे ऐसे दीप जले माँ जिनकी शाश्वत उजियारी !
तव बगिया के वृक्ष निराले अमिट सुखद जिनकी छाया ,
ऐसे राग बनाये तूने जिन्हें विश्व भर ने गाया !
तेरे ताल, सरोवर, निर्झर शीतल, निर्मल नीर भरे ,
तेरे लाल लाड़ले ऐसे जिन पर दुनिया गर्व करे !
रत्न खान पंजाब भूमि ने ऐसा दीप्त रत्न पाया ,
जिसके सद्गुण की आभा से जग आलोकित हो आया !
आनंदपुर ने दीप सँजोया जिसकी ज्योति जली अवदात ,
वर्ष तीन सौ बीत चुके पर स्वयम् प्रकाशित है दिन रात !
ऐसा वह वटवृक्ष निराला जिसकी छाया सुखदायी ,
सिसक रही मानवता उसके आँचल में जा मुस्काई !
पञ्च महानद की लहरों से ऐसा गूँजा अद्भुत राग ,
मृत जन जीवन के प्रति जागा मानव मन में नव अनुराग !
जिसने ज्ञान सरोवर में अवगाहन कर मन विमल किया ,
धन्य लाल वह तेरा माँ जिसने सिर देकर सी न किया !
जिसने धर्म ध्वजा फहराई जिसने रक्खा माँ का मान ,
दीन दुखी जन के रक्षण में जिसने प्राण किये कुरबान !
दानवता, अविचार मिटाने जिसकी तेग चली अविराम ,
उन गुरु तेग बहादुर के चरणों में अर्पित कोटि प्रणाम !
किरण
गुरु तेगबहादुर को नमन।
जवाब देंहटाएंपाठक गण परनाम, सुन्दर प्रस्तुति बांचिये ||
जवाब देंहटाएंघूमो सुबहो-शाम, उत्तम चर्चा मंच पर ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच ||
charchamanch.blogspot.com
गुरु तेगबहादुर को नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अपनी आ. माताजी के रचना संसार की सैर कराने के लिए
जवाब देंहटाएंगुरु तेग बहादुर जी को सादर नमन |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति |
आशा
कल 26/11/2011को आपकी किसी पोस्टकी हलचल नयी पुरानी हलचल पर हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
आनंदपुर ने दीप सँजोया जिसकी ज्योति जली अवदात ,
जवाब देंहटाएंवर्ष तीन सौ बीत चुके पर स्वयम् प्रकाशित है दिन रात !
गुरु तेग बहादुर जी को सादर नमन
सुन्दर प्रस्तुति...
सादर...
"GURU TEGBHADUR" ko koti-koti naman
जवाब देंहटाएं