ओ शरद निशे ले आई हो
क्यों अद्भुत सुख भण्डार सखी ,
लहराता दसों दिशाओं में
आनंद का पारावार सखी !
ले मूक हुई वाणी, कैसे
अब करूँ प्रकट उद्गार सखी ,
सह सकता कैसे दीन हृदय
कब इतने सुख का भार सखी !
बिखरा कर मधुर चंद्रिका यह
किसका तू है स्वागत करती ,
देती बिखेर स्वर्णिम तारे
मानों निर्धन का घर भरती !
मुक्तामय ओस गिरा कर जो
बहुमूल्य निछावर तू करती ,
किसका इस मदिर पवन द्वारा
आराधन, आवाहन करती !
कुछ ऊली फूली बढ़ी चली
किस ओर अरी जाती सजनी ,
द्रुम दल को हिला-हिला सजनी
कल कीर्ति मधुर गाती सजनी !
यदि लाल किले के सुदृढ़ मार्ग
की ओर चली जाती सजनी ,
तो हृदय कुञ्ज के भाव कुसुम
पहुँचा उन तक आती सजनी !
देती बिखेर उन चरणों पर
इस तुच्छ हृदय का प्यार सखी ,
लेती पखार फिर युगल चरण
निर्मल नयनांजलि ढार सखी !
पुलकित उर वीणा की उन तक
पहुँचाना यह झंकार सखी ,
तेरे स्वर में मिलकर ये स्वर
कर उठें मधुर गुंजार सखी !
पृथ्वी, जल, वायु रहे जब तक
गंगा जमुना की धार सखी ,
शशि रहे चंद्रिकायुक्त, रवि
रहे ज्योति का आगार सखी !
लहराए तिरंगा भारत का
सत् रज तम हो साकार सखी ,
हो सुदृढ़ राष्ट्र की नींव
अखंडित हो स्वतंत्र सरकार सखी !
किरण
क्यों अद्भुत सुख भण्डार सखी ,
लहराता दसों दिशाओं में
आनंद का पारावार सखी !
ले मूक हुई वाणी, कैसे
अब करूँ प्रकट उद्गार सखी ,
सह सकता कैसे दीन हृदय
कब इतने सुख का भार सखी !
बिखरा कर मधुर चंद्रिका यह
किसका तू है स्वागत करती ,
देती बिखेर स्वर्णिम तारे
मानों निर्धन का घर भरती !
मुक्तामय ओस गिरा कर जो
बहुमूल्य निछावर तू करती ,
किसका इस मदिर पवन द्वारा
आराधन, आवाहन करती !
कुछ ऊली फूली बढ़ी चली
किस ओर अरी जाती सजनी ,
द्रुम दल को हिला-हिला सजनी
कल कीर्ति मधुर गाती सजनी !
यदि लाल किले के सुदृढ़ मार्ग
की ओर चली जाती सजनी ,
तो हृदय कुञ्ज के भाव कुसुम
पहुँचा उन तक आती सजनी !
देती बिखेर उन चरणों पर
इस तुच्छ हृदय का प्यार सखी ,
लेती पखार फिर युगल चरण
निर्मल नयनांजलि ढार सखी !
पुलकित उर वीणा की उन तक
पहुँचाना यह झंकार सखी ,
तेरे स्वर में मिलकर ये स्वर
कर उठें मधुर गुंजार सखी !
पृथ्वी, जल, वायु रहे जब तक
गंगा जमुना की धार सखी ,
शशि रहे चंद्रिकायुक्त, रवि
रहे ज्योति का आगार सखी !
लहराए तिरंगा भारत का
सत् रज तम हो साकार सखी ,
हो सुदृढ़ राष्ट्र की नींव
अखंडित हो स्वतंत्र सरकार सखी !
किरण
gahan rachna
जवाब देंहटाएंदेश के लिये आपकी आशा़यें मूर्त रूप पायें।
जवाब देंहटाएंओजपूर्ण अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंbhtrin abhivykti badhai ho.akhtar khan akela kota rajasthan
जवाब देंहटाएंbehtreen abhivyakti.
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर मनोकामना थी .. काश एक प्रतिशत भी इतने सालों में हुआ होता पूरा ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
आहा आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंआ. किरण जी के संस्कार मिले हैं आप दोनों बहनों को, तभी न आप की लेखनी ने सुगमता से छंदों को अपना लिया।
सुन्दर अभिव्यक्ति |"हो सुदृढ़ राष्ट्र की नीव -----हो स्वतंत्र सरकार सखी "बहुतभाव पूर्ण पंक्तियाँ |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंइस मंगल कामना को नमन!
जवाब देंहटाएंलहराए तिरंगा भारत का
जवाब देंहटाएंसत् रज तम हो साकार सखी ,
हो सुदृढ़ राष्ट्र की नींव...
इस मंगल कामना की बहुत शुभकामनायें !
भावपूर्ण-रचना,गहन अभिव्यक्ति से ओत-प्रोत.
जवाब देंहटाएंsundar prastuti....
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबाल दिवस की शुभकामनाये...
सादर बधाई...
पृथ्वी, जल, वायु रहे जब तक
जवाब देंहटाएंगंगा जमुना की धार सखी ,
शशि रहे चंद्रिकायुक्त, रवि
रहे ज्योति का आगार सखी ...
बशुत ही सुन्दर प्रवाहमय रचना ...