शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

दीवानी दुनिया के पार




दूर क्षितिज के धूमिल तट पर देखो तो सजनी उस पार ,
देख रहा है अरे चमकता शुचि सुन्दर सा किसका द्वार !

अरी कौन आता पागल सा बता रहा जो सुन्दर रीत ,
उस अभिनव मंदिर से किसकी स्तुति में गाता सा गीत !

ठहरो! सुनो, कह रहा वह क्या "हैं! यह है कैसा संगीत !
अरी रहा सारी संसृति को अपनी स्वर लहरी से जीत "!

दीवानी दुनिया के प्राणी सुनो सुनो कुछ देकर ध्यान ,
व्यर्थ भटकते क्यों माया में गाओ प्रियतम का गुणगान !

आओ चलो प्रेम मंदिर तक, प्रेम देव के चरणों तक ,
सेवा, स्नेह, हृदय, यह जीवन बलि कर दो स्वर्णिम सुख तक !

सजनि ! पथिक के राग सुनो कैसा सुन्दर उपदेश अरे !
करने प्रेम देव की पूजा जग से यदि हो जायें परे !

तो सजनी चल के ढूँढें अब पावन उस प्रियतम का द्वार ,
चलो चलें उस ओर वहीं, इस दीवानी दुनिया के पार !



किरण

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....माँ को नमन

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  2. आओ चलो प्रेम मंदिर तक, प्रेम देव के चरणों तक ,
    सेवा, स्नेह, हृदय, यह जीवन बलि कर दो स्वर्णिम सुख तक !

    सजनि ! पथिक के राग सुनो कैसा सुन्दर उपदेश अरे !
    करने प्रेम देव की पूजा जग से यदि हो जायें परे !

    तो सजनी चल के ढूँढें अब पावन उस प्रियतम का द्वार ,
    चलो चलें उस ओर वहीं, इस दीवानी दुनिया के पार !
    Aprateem panktiyan!

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  3. दीवानी दुनिया के प्राणी सुनो सुनो कुछ देकर ध्यान ,
    व्यर्थ भटकते क्यों माया में गाओ प्रियतम का गुणगान !

    बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं।

    सादर

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  4. वाह!! अद्भुत प्रवाह एवं अति सुन्दर गीत!!

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  5. बहुत ही प्यारा सा गीत ...प्रत्येक पंक्ति बार बार पढ़ने को जी चाहे

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  6. वाह ...भावमय करते शब्‍दों का संगम ।

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  7. बहुत सुन्दर भाव लिए रचना
    आशा

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  8. तो सजनी चल के ढूँढें अब पावन उस प्रियतम का द्वार ,
    चलो चलें उस ओर वहीं, इस दीवानी दुनिया के पार !

    ...बहुत सुंदर और प्रभावी...

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  9. बहुत प्रभावशाली अभिव्‍यक्ति !!

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  10. आओ चलो प्रेम मंदिर तक, प्रेम देव के चरणों तक ,
    सेवा, स्नेह, हृदय, यह जीवन बलि कर दो स्वर्णिम सुख तक !

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना ...

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  11. तो सजनी चल के ढूँढें अब पावन उस प्रियतम का द्वार ,
    चलो चलें उस ओर वहीं, इस दीवानी दुनिया के पार !भावपूर्ण रचना....

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  12. तो सजनी चल के ढूँढें अब पावन उस प्रियतम का द्वार ,
    चलो चलें उस ओर वहीं, इस दीवानी दुनिया के पार !
    बहुत खूब ..... खुबसूरत कविता को बहुत -२ सम्मान ,

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  13. लगा जैसे ‘कामायनी’ का कोई हिस्सा पढ़ रहा....
    सुन्दर.. प्रवाही.. भावमयी...
    जवाब नहीं आद अम्मा जी की लेखनी का...
    सादर

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  14. बहुत सुन्दर भावप्रवण रचना।

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  15. वाह! बहुत सुन्दर.
    इस सुन्दर प्रस्तुति का व अनुपमा जी की अनुपम हलचल का आभार.

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  16. आदरणीया साधना जी अभिवादन देवी की कृपा से आनंद आ गया जयशंकर जी की याद आ गयी कितना सुन्दर भाव वैसा ही लय और प्रवाह ...प्रेम छलक पड़ा
    आभार आप का सुन्दर सृजन के लिए
    भ्रमर ५

    आओ चलो प्रेम मंदिर तक, प्रेम देव के चरणों तक ,
    सेवा, स्नेह, हृदय, यह जीवन बलि कर दो स्वर्णिम सुख तक !

    सजनि ! पथिक के राग सुनो कैसा सुन्दर उपदेश अरे !
    करने प्रेम देव की पूजा जग से यदि हो जायें परे !

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  17. आओ चलो प्रेम मंदिर तक, प्रेम देव के चरणों तक ,
    सेवा, स्नेह, हृदय, यह जीवन बलि कर दो स्वर्णिम सुख तक !
    सुंदर!

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  18. आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।

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