सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
भोर हुआ पंछी वन बोले , किरणों ने घूँघट पट खोले ,
सूर्य कलश ले पूजन हित मंदिर में ऊषा दौड़ पड़ी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
भक्त पुजारी सेवक आये, भेंट भोग बहुतेरा लाये ,
अरमानों को पूर्ण बनाने विनय सुनाई प्रेम भरी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
इक दुखिया भी मंदिर आई , स्नेह सिंधु के मुक्ता लाई ,
नयन नीर , सूने कर दोनों , चढ़ी न सीढ़ी बड़ी-बड़ी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
सब लौटे छाया सूनापन , चल पड़ी लौट वह भी उन्मन ,
"पगली अपनी स्नेह भेंट ला , ऐसे ही क्यों लौट पड़ी !"
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
"साज बाज का काम नहीं कुछ , प्रेम प्रीति का दाम नहीं कुछ ,
तेरे भाव कुसुम की कीमत सबसे ऊँची और बड़ी !"
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
किरण
भोर हुआ पंछी वन बोले , किरणों ने घूँघट पट खोले ,
सूर्य कलश ले पूजन हित मंदिर में ऊषा दौड़ पड़ी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
भक्त पुजारी सेवक आये, भेंट भोग बहुतेरा लाये ,
अरमानों को पूर्ण बनाने विनय सुनाई प्रेम भरी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
इक दुखिया भी मंदिर आई , स्नेह सिंधु के मुक्ता लाई ,
नयन नीर , सूने कर दोनों , चढ़ी न सीढ़ी बड़ी-बड़ी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
सब लौटे छाया सूनापन , चल पड़ी लौट वह भी उन्मन ,
"पगली अपनी स्नेह भेंट ला , ऐसे ही क्यों लौट पड़ी !"
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
"साज बाज का काम नहीं कुछ , प्रेम प्रीति का दाम नहीं कुछ ,
तेरे भाव कुसुम की कीमत सबसे ऊँची और बड़ी !"
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
किरण
अद्वितीय भाव एवं अभिव्यक्ति ...दोनों ही ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...माँ को नमन.
सब लौटे छाया सूनापन , चल पड़ी लौट वह भी उन्मन ,
जवाब देंहटाएं"पगली अपनी स्नेह भेंट ला , ऐसे ही क्यों लौट पड़ी !"
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
अनुपम रचना ... बहुत सुन्दर
बहुत गहन भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
"पगली अपनी स्नेह भेंट ला , ऐसे ही क्यों लौट पड़ी !"
जवाब देंहटाएंसूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
आत्मा तक उतर जाने वाली कविता!
भाव सुमन से बढकर और कुछ देवता को चाहिये भी नही होता।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
"साज बाज का काम नहीं कुछ , प्रेम प्रीति का दाम नहीं कुछ ,
जवाब देंहटाएंतेरे भाव कुसुम की कीमत सबसे ऊँची और बड़ी !"
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
Bahut,bahut sundar!
भावों की गहनता और प्रतिमा बोलने लगती है।
जवाब देंहटाएंअद्वितीय अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतेरे भाव कुसुम की कीमत सबसे ऊँची और बड़ी !"
जवाब देंहटाएंसूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
भावों का अनूठा श्रृंगार शब्दों से ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
आपकी माता जी की इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर अधिक से अधिक पाठक पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
गहन भक्ति भाव को शब्दों में उतार दिया आपने ...
जवाब देंहटाएंइक दुखिया भी मंदिर आई , स्नेह सिंधु के मुक्ता लाई ,
जवाब देंहटाएंनयन नीर , सूने कर दोनों , चढ़ी न सीढ़ी बड़ी-बड़ी !
सूने में प्रतिमा बोल पड़ी !
नि:शब्द प्रार्थना...!!
माँ की रचना पढवाने के लिए आपका आभार !
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