चलो नया संसार बसायें !
अवनी का कठोर अंचल तज
नभ में नव घर एक बनायें !
चलो नया संसार बसायें !
जहाँ न तेरा मेरा कर यह
जग अपने को छले सखे ,
जहाँ न चिंता चिनगारी से
यह अपना तन जले सखे ,
व्यर्थ न जग की निष्ठुरता में
पड़ यह अपना अंग घुलायें !
चलो नया संसार बसायें !
जहाँ न सुख-दुःख और
निराशा आशाओं के बंधन होवें ,
जहाँ न औरों के फंदे में
फँस कर हम अपनापन खोवें ,
जहाँ न अरमानों की आहुतियाँ
दे जीवन यज्ञ रचायें !
चलो नया संसार बसायें !
केवल जग के ऊपर निर्भर
जहाँ न जीना मरना होगा ,
जहाँ न उर में शान्ति तृप्ति
लाने को आँसू झरना होगा ,
और व्यर्थ हँसने रोने में
क्यों यह अपना समय गवाँयें !
चलो नया संसार बसायें !
किरण
अवनी का कठोर अंचल तज
नभ में नव घर एक बनायें !
चलो नया संसार बसायें !
जहाँ न तेरा मेरा कर यह
जग अपने को छले सखे ,
जहाँ न चिंता चिनगारी से
यह अपना तन जले सखे ,
व्यर्थ न जग की निष्ठुरता में
पड़ यह अपना अंग घुलायें !
चलो नया संसार बसायें !
जहाँ न सुख-दुःख और
निराशा आशाओं के बंधन होवें ,
जहाँ न औरों के फंदे में
फँस कर हम अपनापन खोवें ,
जहाँ न अरमानों की आहुतियाँ
दे जीवन यज्ञ रचायें !
चलो नया संसार बसायें !
केवल जग के ऊपर निर्भर
जहाँ न जीना मरना होगा ,
जहाँ न उर में शान्ति तृप्ति
लाने को आँसू झरना होगा ,
और व्यर्थ हँसने रोने में
क्यों यह अपना समय गवाँयें !
चलो नया संसार बसायें !
किरण
चलो बनायें मुक्त गगन हम।
जवाब देंहटाएंकहाँ मिलेगा ऐसा संसार ....
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन ...उनकी हर रचना अद्भुत और बेहद प्रभावशील होती है !
आपको शुभकामनायें !
बहुत, बहुत, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है .
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ.
आद. साधना जी ,आद. किरण जी मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
विशेष अनुरोध है मेरा.
हर मन की पीड़ा को समाहित यह रचना जिस संसार की खोज में है, वह दूर ही दिख रहा है।
जवाब देंहटाएंकल्पना को खूबसूरत पंख दे कर नए संसार को बनाने की चाह ... हर रचना में कवयित्री की विलक्षण प्रतिभा दिखाई देती है ..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बढि़या ।
जवाब देंहटाएंबहुत भावमई प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
जहाँ न उर में शान्ति तृप्ति
जवाब देंहटाएंलाने को आँसू झरना होगा ,
सचमुच... आँसू बहाकर भी कहाँ मिलती है शान्ति...
सुन्दर रचना
sunder nirmal chaah.
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर गीत....
जवाब देंहटाएंसादर आभार...
केवल जग के ऊपर निर्भर
जवाब देंहटाएंजहाँ न जीना मरना होगा ,
जहाँ न उर में शान्ति तृप्ति
लाने को आँसू झरना होगा ,
और व्यर्थ हँसने रोने में
क्यों यह अपना समय गवाँयें !
चलो नया संसार बसायें !
बहुत सुन्दर....!!
bahut hi sundar,anokhi rachna.
जवाब देंहटाएंभावमई प्रस्तुति अद्भुत रचना।
जवाब देंहटाएंक्यों यह अपना समय गंवाए
जवाब देंहटाएंचलो नया संसार बनाये ...
अच्छी मनमोहक पोस्ट ...
मेरा अनुरोध है की आप मरे नए
पोस्ट "माँ की यादे" जरूर देखे ..
आपका स्वागत है .....