मंगलवार, 2 अगस्त 2011

आँधी आई


सारे जग में आँधी आई !
पृथ्वी के कण-कण से उठ कर
जड़ चेतन तक सबमें छाई !
जग जीवन में आँधी आई !

तरु से विलग हुए नव पल्लव
पुष्प गुच्छ सुन्दर सुकुमार ,
नन्हें-नन्हें फल डालों से
गिरे अधपके हो जग भार !
दीन झोंपड़ी से दावानल
की लपटें उठ-उठ छाईं !

जग जीवन में आँधी आई !

युवकों में छाया जोश नया
अरु जग में फ़ैली क्रान्ति बयार ,
गिरते हुए देश में फिर से
नयी शक्ति का था संचार !
आँधी बन कर क्रान्ति
नया संदेशा भारत में लाई !

जग जीवन में आँधी आई !

सूक्ष्म रूप से हृदय कुटी में
पहुँची ले उन्माद नया ,
भोलापन उसके संग में पड़
अपने हाथों गया छला !
आग लगा जीवन वन में
धर नया रूप आँधी आई !

सारे जग में आँधी आई ,
जग जीवन में आँधी छाई !


किरण

भारत में


13 टिप्‍पणियां:

  1. युवकों में छाया जोश नया
    अरु जग में फ़ैली क्रान्ति बयार ,
    गिरते हुए देश में फिर से
    नयी शक्ति का था संचार !
    आँधी बन कर क्रान्ति
    नया संदेशा भारत में लाई !

    माँ ( किरण जी) की रचना उस समय की है जब देश आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा होगा ..देश भक्ति का जज़्बा हर शब्द में छलक रहा है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. विश्व की उथल-पुथल पर समग्र दृष्टि।

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  3. तरु से विलग हुए नव पल्लव
    पुष्प गुच्छ सुन्दर सुकुमार ,
    नन्हें-नन्हें फल डालों से
    गिरे अधपके हो जग भार !
    दीन झोंपड़ी से दावानल
    की लपटें उठ-उठ छाईं !
    bahut hi sahi chitran

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  4. प्रभावशाली और बेहतरीन रचना.

    बधाई

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  5. गहरा सोच लिए कविता |बहुत भाव पूर्ण |
    आशा

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  6. भोलापन उसके संग में पड़
    अपने हाथों गया छला !
    आग लगा जीवन वन में
    धर नया रूप आँधी आई !

    कितना सच लिखा है....ऐसी ही आंधी सब उथल-पुथल मचा जाती है..

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  7. खुबसूरत रचना को पढवाने के लिए आभार आपका !

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  8. बहुत सुंदर...समग्र सोच के साथ रची गयीं उम्दा पंक्तियाँ

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  9. बहुत ही खुबसूरत गीत है...
    सादर आभार...

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  10. गहन भाव समेटे बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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