सारे जग में आँधी आई !
पृथ्वी के कण-कण से उठ कर
जड़ चेतन तक सबमें छाई !
जग जीवन में आँधी आई !
तरु से विलग हुए नव पल्लव
पुष्प गुच्छ सुन्दर सुकुमार ,
नन्हें-नन्हें फल डालों से
गिरे अधपके हो जग भार !
दीन झोंपड़ी से दावानल
की लपटें उठ-उठ छाईं !
जग जीवन में आँधी आई !
युवकों में छाया जोश नया
अरु जग में फ़ैली क्रान्ति बयार ,
गिरते हुए देश में फिर से
नयी शक्ति का था संचार !
आँधी बन कर क्रान्ति
नया संदेशा भारत में लाई !
जग जीवन में आँधी आई !
सूक्ष्म रूप से हृदय कुटी में
पहुँची ले उन्माद नया ,
भोलापन उसके संग में पड़
अपने हाथों गया छला !
आग लगा जीवन वन में
धर नया रूप आँधी आई !
सारे जग में आँधी आई ,
जग जीवन में आँधी छाई !
किरण
भारत में
पृथ्वी के कण-कण से उठ कर
जड़ चेतन तक सबमें छाई !
जग जीवन में आँधी आई !
तरु से विलग हुए नव पल्लव
पुष्प गुच्छ सुन्दर सुकुमार ,
नन्हें-नन्हें फल डालों से
गिरे अधपके हो जग भार !
दीन झोंपड़ी से दावानल
की लपटें उठ-उठ छाईं !
जग जीवन में आँधी आई !
युवकों में छाया जोश नया
अरु जग में फ़ैली क्रान्ति बयार ,
गिरते हुए देश में फिर से
नयी शक्ति का था संचार !
आँधी बन कर क्रान्ति
नया संदेशा भारत में लाई !
जग जीवन में आँधी आई !
सूक्ष्म रूप से हृदय कुटी में
पहुँची ले उन्माद नया ,
भोलापन उसके संग में पड़
अपने हाथों गया छला !
आग लगा जीवन वन में
धर नया रूप आँधी आई !
सारे जग में आँधी आई ,
जग जीवन में आँधी छाई !
किरण
भारत में
युवकों में छाया जोश नया
जवाब देंहटाएंअरु जग में फ़ैली क्रान्ति बयार ,
गिरते हुए देश में फिर से
नयी शक्ति का था संचार !
आँधी बन कर क्रान्ति
नया संदेशा भारत में लाई !
माँ ( किरण जी) की रचना उस समय की है जब देश आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा होगा ..देश भक्ति का जज़्बा हर शब्द में छलक रहा है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
विश्व की उथल-पुथल पर समग्र दृष्टि।
जवाब देंहटाएंतरु से विलग हुए नव पल्लव
जवाब देंहटाएंपुष्प गुच्छ सुन्दर सुकुमार ,
नन्हें-नन्हें फल डालों से
गिरे अधपके हो जग भार !
दीन झोंपड़ी से दावानल
की लपटें उठ-उठ छाईं !
bahut hi sahi chitran
प्रभावशाली और बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंबधाई
प्रभावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंप्रभावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंगहरा सोच लिए कविता |बहुत भाव पूर्ण |
जवाब देंहटाएंआशा
भोलापन उसके संग में पड़
जवाब देंहटाएंअपने हाथों गया छला !
आग लगा जीवन वन में
धर नया रूप आँधी आई !
कितना सच लिखा है....ऐसी ही आंधी सब उथल-पुथल मचा जाती है..
bahut sunder ojpoorn rachna. aabhar.
जवाब देंहटाएंखुबसूरत रचना को पढवाने के लिए आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...समग्र सोच के साथ रची गयीं उम्दा पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत गीत है...
जवाब देंहटाएंसादर आभार...
गहन भाव समेटे बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.