गोकुल के रचैया अरु गोकुल के बसैया हरी ,
माखन के लुटैया पर माखन के रखैया तुम !
गोधन के कन्हैया अरु गोवर्धन उठैया नाथ ,
बृज के बसैया श्याम बृज के बचैया तुम !
भारत रचैया अरु भारत बचैया कृष्ण ,
गीता के सुनैया अरु गीता के रचैया तुम !
बंसी के बजैया अरु चीर के चुरैया हरि ,
नागन के ऊपर चढ़ि नृत्य के करैया तुम !
सारी के चुरैया अरु सारी के बढ़ैया साथ ,
भरी सभा द्रौपदी की लाज के रखैया तुम !
राधा के गहैया श्याम राधा के छुड़ैया योगी ,
गोपिन संग कुंजन में रास के रचैया तुम !
पापी अरु पापिन को स्वर्ग के दिलैया नाथ ,
शरण हूँ मैं लाज राखो कुँवर कन्हैया तुम !
किरण
कान्हा पर सुन्दर रचना ..जन्माष्टमी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर.... happy janmaastmi...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.....जन्माष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक बधाइयाँ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार .जन्माष्टमी की शुभकामनायें .
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत खुबसूरत... आनंद आ गया पढ़कर...
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की सादर बधाईयाँ....
कान्हा पर सुन्दर भाव पूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
कृष्ण जन्माष्टमी पे कृष्ण-मय हो जाने की ललक से उपजी रचना ... बहुत कमाल के शब्द हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंकुँवर कन्हैया, प्यारे गिरिधर।
जवाब देंहटाएंनमस्कार जी,
जवाब देंहटाएंये कविता बहुत पसंद आयी है,