रविवार, 21 अगस्त 2011

कन्हैया












गोकुल के रचैया अरु गोकुल के बसैया हरी ,
माखन के लुटैया पर माखन के रखैया तुम !

गोधन के कन्हैया अरु गोवर्धन उठैया नाथ ,
बृज के बसैया श्याम बृज के बचैया तुम !

भारत रचैया अरु भारत बचैया कृष्ण ,
गीता के सुनैया अरु गीता के रचैया तुम !

बंसी के बजैया अरु चीर के चुरैया हरि ,
नागन के ऊपर चढ़ि नृत्य के करैया तुम !

सारी के चुरैया अरु सारी के बढ़ैया साथ ,
भरी सभा द्रौपदी की लाज के रखैया तुम !

राधा के गहैया श्याम राधा के छुड़ैया योगी ,
गोपिन संग कुंजन में रास के रचैया तुम !

पापी अरु पापिन को स्वर्ग के दिलैया नाथ ,
शरण हूँ मैं लाज राखो कुँवर कन्हैया तुम !


किरण








11 टिप्‍पणियां:

  1. कान्हा पर सुन्दर रचना ..जन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  2. बहुत सुंदर.....जन्माष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक बधाइयाँ....

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  3. बहुत सुंदर शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार .जन्माष्टमी की शुभकामनायें .

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  4. वाह बहुत ही सुन्दर रचना।
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।

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  5. बहुत खुबसूरत... आनंद आ गया पढ़कर...
    जन्माष्टमी की सादर बधाईयाँ....

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  6. कान्हा पर सुन्दर भाव पूर्ण रचना |
    आशा

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  7. कृष्ण जन्माष्टमी पे कृष्ण-मय हो जाने की ललक से उपजी रचना ... बहुत कमाल के शब्द हैं ...

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  8. नमस्कार जी,
    ये कविता बहुत पसंद आयी है,

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