देशप्रेम की अद्भुत भीनी-भीनी बयार आजकल भारत की फिजाओं में बह रही है ! आज अपनी मम्मी की देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत एक बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत कर रही हूँ ! आशा है आप सबको अवश्य पसंद आयेगी !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो दीप बनूँ उस कुटिया का जो दुःख की झंझा से उजड़ी ,
निज प्राणों का नित स्नेह जला करता रहता उजियारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो बनूँ कृषक ऊसर जग में बो दूँ अरमानों के मोती ,
मेटूँ नैराश्य फसल जिससे जीवन को तनिक सहारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो बनूँ हिमालय का पत्थर कल-कल करती निर्झरिणी का ,
चरणों से टकरा बिखर पडूँ तट की रज का अंगारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो पुष्प बनूँ उस उपवन का जो गया उजड़ हो पतझड़ में ,
कोकिल ने पल भर को ही फिर निज स्वर से जिसे गुंजारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो नीर बनूँ उस मरुथल का जिसमें प्यासा खोया-खोया ,
मृगजल से जाकर छला खोजता रेती में जलधारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो बनूँ आह दुर्बल उर की जग से ठुकराया जाकर जो ,
अपने जीवन का भार लिये गिनता रजनी का तारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो बनूँ द्वार उस मंदिर का, खंडहर बन निर्जन में एकल
हो पड़ा हुआ, जिसमें भूले पंथी ने समय गुज़ारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
तो आस बनूँ दुखिया मन की जो सदा अभावों से लड़ कर ,
थक हार विवश आकुल-व्याकुल पीता अश्रु जल धारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
पतवार बनूँ उस नौका की जो बीच भँवर में जा उलझी ,
खो चुकी दिशायें लहरों में नज़रों से दूर किनारा हो !
जो मेरा जन्म दोबारा हो !
किरण
तो नीर बनूँ उस मरुथल का जिसमें प्यासा खोया-खोया ,
जवाब देंहटाएंमृगजल से जाकर छला खोजता रेती में जलधारा हो !
adbhut bhav ...bahut hi sunder rachna ...
अद्भुत भाव, प्रवाह और प्यार अपनी धरा के लिये।
जवाब देंहटाएंवे महान थीं ....
जवाब देंहटाएंनमन माँ को !
पतवार बनूँ उस नौका की जो बीच भँवर में जा उलझी ,
जवाब देंहटाएंखो चुकी दिशायें लहरों में नज़रों से दूर किनारा हो !
बहुत ही प्यारी कविता है...
sundar rachna .......lajwaab prastuti
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ इस रचना के लिये…………बेहद सुन्दर भाव और देश प्रेम से भरी रचना पढवाने के लिये आपके आभारी हैं।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव से गुंथी सुन्दर रचना
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