आओ आओ बेग पधारो व्याकुल ह्रदय हमारा है ,
नाथ न क्यों सुनते अनुनय हो निठुर भाव क्यों धारा है !
दुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला,
आजा फिर दिखला दे मोहन मधुर दृश्य गोकुल वाला !
बृज की शोभा क्षीण हुई है ऐ बृजराज दुलारे आ ,
विरह व्यथा से व्याकुल गोपिन के जीवन उजियारे आ !
माँ जसुदा की सुघर गोद के प्यारे कुँवर कन्हैया आ ,
वंशीधारी, गिरिवरधारी, वन-वन वेणु बजैया आ !
किरण
आओ आओ बेग पधारो..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
माँ जसुदा के --------व वन वेणु बजैया आ "
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रार्थना
आशा
भक्तिमय भाव और हृदय से निकली प्रार्थना ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें...साधना जी ...!!
बृज की शोभा क्षीण हुई है ऐ बृजराज दुलारे आ ,
जवाब देंहटाएंविरह व्यथा से व्याकुल गोपिन के जीवन उजियारे आ !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
बहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंदुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला,
जवाब देंहटाएंआजा फिर दिखला दे मोहन मधुर दृश्य गोकुल वाला !
विरह और भक्तिभाव से परिपूर्ण भाव दिल को छू गये।
Aprateem rachana!
जवाब देंहटाएंभाव अंतस को छू जाते हैं...
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