मुरारी मुरली आज बजाओ !
भक्ति की गंगा जमुना में तुम भक्तों को नहलाओ ,
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में आओ रास रचाओ ,
यमुना तट पर फिर मनमोहन मीठे राग सुनाओ ,
क्यों तुम रूठ गये हो कान्हा यह तो हमें बताओ ,
भारतवासी भक्त बनें फिर ऐसी राह दिखाओ ,
नैना प्यासे हैं दर्शन को अब न अधिक तरसाओ ,
क्षीर सिंधु का त्याग करो अब, श्याम हमारे आओ !
किरण
भारत भूमि फिर से कृष्ण की प्रतीक्षा में है ...
जवाब देंहटाएंसार्थक आह्वान !
हमारे संग रहो,
जवाब देंहटाएंहमारे रंग रहो।
शब्द में कृष्ण
जवाब देंहटाएंगुहार में कृष्ण
सोच में कृष्ण ............... आह्वान , आगमन हो चुका है
.
जवाब देंहटाएंआदरणीया अम्माजी को मेरा शत शत नमन !
कितना श्रेष्ठ सृजन किया है !
इतनी सुंदर रचना है …
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में आओ रास रचाओ
यमुना तट पर फिर मनमोहन मीठे राग सुनाओ
शब्द-शब्द में माधुर्य छलक रहा है …
एक मेल भेजी है आपको …
इस रचना को अपना स्वर दिया है …
बहुत बहुत आभारी हूँ आपकी राजेन्द्र भाई ! आपकी मधुर आवाज़ ने इस गीत में चार चाँद लगा दिये हैं ! आपसे अनुरोध है आप अपने गाये हुए इसी गीत का लिंक एक और टिप्पणी में दे दीजिए जिससे सभी पाठक गण आपके मधुर स्वर में इस रचना का आनंद उठा सकें ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
हटाएं.
हटाएंइस रचना को आपके ब्लॉग पर ही प्लेयर पर सुनने के लिए वैसे मैं आपको मेल द्वारा
एम्बेड कोड भेज चुका हूं ,
सुविधानुसार ब्लॉग पर लगालें ।
कोई मुझसे मेल द्वारा यह गीत मंगाना चाहे तो तत्संबंधी मेल मिलने पर मैं सहर्ष इस गीत की mp3 भेज दूंगा …
और सीधे डाउनलोड करने के लिए लिंक यह है …
http://www.divshare.com/download/19339941-77d
क्यों तुम रूठ गये हो कान्हा यह तो हमें बताओ ,
जवाब देंहटाएंभारतवासी भक्त बनें फिर ऐसी राह दिखाओ ....
जल्द ही आपकी-मेरी-हमसब की प्रतीक्षा समाप्त होनेवाली ही है .... !!
कान्हा को पुकारती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदय से उमडती पुकार
जवाब देंहटाएंkaanha ke aane ka samay ab aa chuka hai. isase adhik aur kya hoga isa dharti par jab ve aayenge. aise ahvaan se ve jaroor aayenge.
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी, बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना...
:-)