मंगलवार, 7 अगस्त 2012

कन्हैया

 
 
गोकुल के रचैया अरु गोकुल के बसैया हरि ,
माखन के लुटैया पर माखन के रखैया तुम ! 
 
गोधन  के कन्हैया अरु गोवर्धन उठैया नाथ ,
बृज के बसैया श्याम बृज के बचैया तुम !

भारत रचैया अरु भारत बचैया कृष्ण ,
गीता के सुनैया अरु गीता के रचैया तुम ! 

बंसी के बजैया अरु चीर के चुरैया हरि  ,
नागन के ऊपर चढ़ि नृत्य के करैया तुम ! 
 
सारी  के चुरैया अरु सारी के बढ़ैया साथ ,
भरी  सभा द्रौपदी की लाज के रखैया तुम !

राधा के गहैया श्याम राधा के छुड़ैया योगी ,
गोपिन संग कुंजन में रास के रचैया तुम ! 

पापी अरु पापिन को स्वर्ग के दिलैया नाथ ,
शरण हूँ मैं लाज राखो कुँवर कन्हैया तुम ! 


किरण




 


11 टिप्‍पणियां:

  1. पापी अरु पापिन को स्वर्ग के दिलैया नाथ ,
    शरण हूँ मैं लाज राखो कुँवर कन्हैया तुम !

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  2. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है |
    आशा

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  3. बहुत बढिया व भावपूर्ण रचना...बधाई स्वीकारें।

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  4. प्रभावशाली सृजन , ....आभार जी ..

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  5. योगिराज के नाम का, मनवा करले जाप।
    इक दिन धुल ही जायेंगे, मन के सारे पाप।।

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  6. आनंद आगया.... वाह!
    जन्माष्टमी की सादर बधाइयाँ

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