रूप ने श्याम तेरे भरमाया !
फूल पत्र सुन्दर कलियाँ बन सबका ह्रदय चुराया !
रूप ने श्याम तेरे भरमाया !
किसीने पत्थर, फूल किसीने, किसीने क्षीर बताया
वन उपवन में कहा किसीने किसीने नीर बताया !
कोई कहता वह मस्जिद में 'खुदा' बना है आया ,
कहा किसीने 'गॉड' बना गिरिजा में मोहन आया !
कोई कहता यमुना तट पर उसने रास रचाया ,
बन कर उसने ग्वाल बाल नवनीत चुरा कर खाया !
नंदग्राम में कहा किसीने नंद ने गोद खिलाया ,
राम रूप धर कर लंका में रावण वीर हराया !
कुरुक्षेत्र रण भूमि में फिर वह पार्थ सखा बन आया ,
देकर गीता ज्ञान उसे फिर धर्म कर्म सिखलाया !
द्रुपद सुता ने की गुहार जब तत्क्षण चीर बढ़ाया ,
जल भीतर गज ग्राह लड़े तब आकर तुरंत छुड़ाया !
सुन-सुन करके ऐ मनमोहन तेरी अद्भुत माया ,
कोना-कोना ढूँढा जग का, पता न तेरा पाया !
निठुर तेरी निठुराई पर तब मन को रोना आया ,
आँखों से मेरी उमड़ आज जीवन में पावस छाया !
किरण
निठुर तेरी निठुराई पर तब मन को रोना आया ,
जवाब देंहटाएंआँखों से मेरी उमड़ आज जीवन में पावस छाया !
मन में रोना आये ,आँखों में आसूँ छायें
असीम तडफ हो तो श्याम प्रकट हो जाए
बहुत ही सुन्दर भक्ति भाव से ओतप्रोत प्रस्तुति
के लिए हार्दिक आभार जी.
भावविभोर करती अनुपम भक्ति रचना..
जवाब देंहटाएंअपनी भक्ति, अपनी श्रद्धा , अपनी सोच ... तू तो मेरे भीतर है
जवाब देंहटाएंBehad sundar!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भक्ति भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंAwesome creation !
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
सुंदर, भक्तिभाव से ओतप्रोत ।
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