मंगलवार, 31 जुलाई 2012

ये नयन बने कारे बादर


ऊधो उनसे कहना जाकर ! 

करुणा कर दर्शन दें हमको ,
नहीं, अब न कहेंगी 'करुणाकर' !

क्यों प्रीति की बेल बढ़ाई तब ,
क्यों  विरह की आग लगाई अब , 
कहें कौन हुआ अपराध है कब , 
जब साथ रहीं हम उनके तब  ?
बेचैन करें मथुरा में जा ,
हमें गोकुल लगता दु:ख सागर ! 

ऊधो उनसे कहना जाकर ! 

'अंतरयामी' वे क्यों हैं बने ,
जब उर अंतर को नहीं गुनें ,
ना ही दिलों का वे संताप हनें ,
कहे 'दु:खहारी' तब कौन उन्हें ? 
हमसे ही मिली हैं उपाधि सकल ,
क्या भूल गये वे नटनागर ? 

ऊधो उनसे कहना जाकर ! 

यदि दीन न होते तो उनसे ,
सब 'दीनानाथ' नहीं कहते ,
जग  में न अनाथ अरे होते ,
तब 'नाथ' उन्हें हम क्यों कहते !
जब हम जैसों पर दया करें ,
कहालावें तभी वे 'दयासागर' ! 

ऊधो उनसे कहना जाकर ! 

सब राग भोग हमने छोड़े ,
कुलकान त्याग बंधन तोड़े ,
जीवन के हैं अब क्षण थोड़े ,
कब तक यूँ रहेंगे मुँह मोड़े !
अब तो वर्षा ऋतु रहती नित ,
ये नयन बने कारे बादर ! 

ऊधो उनसे कहना जाकर ! 


किरण




14 टिप्‍पणियां:

  1. सब राग भोग हमने छोड़े ,
    कुलकान त्याग बंधन तोड़े ,
    जीवन के हैं अब क्षण थोड़े ,
    कब तक यूँ रहेंगे मुँह मोड़े !
    अब तो वर्षा ऋतु रहती नित ,
    ये नयन बने कारे बादर !

    ऊधो उनसे कहना जाकर ! ....... वियोग की हर स्थिति उजागर है , असह्य है ... इसके पाश में एक एक सांस भारी है ऊधो , इतनी स्थिति बताना उस माखनचोर को ...
    माँ की अति प्रभावशाली रचना

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  2. यदि दीन न होते तो उनसे ,
    सब 'दीनानाथ' नहीं कहते ,
    जग में न अनाथ अरे होते ,
    तब 'नाथ' उन्हें हम क्यों कहते !
    जब हम जैसों पर दया करें ,
    कहालावें तभी वे 'दयासागर' !

    जब हम जैसों पर दया करें ,
    कहालावें तभी वे 'दयासागर' !

    जवाब देंहटाएं
  3. गहन विचारों से अभिभूत रचना |

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  4. कौन सहे गोपिन की पीड़ा,
    ऊधौ ज्ञान तरल बह निकले।

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  5. अद्भुत, अनुपम रचना... बहुत सुन्दर भाव... आभार

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  6. यदि दीन न होते तो उनसे ,
    सब 'दीनानाथ' नहीं कहते ,
    जग में न अनाथ अरे होते ,
    तब 'नाथ' उन्हें हम क्यों कहते !
    जब हम जैसों पर दया करें ,
    कहालावें तभी वे 'दयासागर' !
    बहुत ही सुन्दर। बधाई।

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  7. ek baar maine ek kavita जा उद्धो जा... मत कर जिरह..likhi thi jo is apki mata ji ki rachna ke aage bahut hi tucchh lagti hai.

    aabhar ise padhwane k liye.

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  8. कल 07/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. बहुत सुंदर रचना .... जन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  10. विरह अगन की सटीक अभिव्यक्ति……………कृष्ण-जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  11. बहुत सुंदर गीत...
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सादर बधाइयाँ...

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  12. बहुत सुन्दर अद्दभुत रचना...
    शुभकामनाये...
    :-)

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