चलो चलें उस ओर प्रेम की
मधुर ज्योति जहाँ जगे सखी ,
प्रेम वायु के शीतल झोंके
इधर-उधर से लगें सखी !
प्रेम सिंधु के उर प्रांगण में
चलो तरंगें बनें सखी ,
मिल कर प्रियतम के संग हम तुम
प्रेम केलि में पगें सखी !
आओ बना प्रेम का मंदिर
प्रिय की मूर्ति बिठायें सखी ,
जग के हर कोने-कोने में
प्रेम सुधा सरसायें सखी !
गा-गा करके राग प्रेम के
प्रियतम को हरषायें सखी ,
तन मन धन सब आज गँवा कर
प्रिय प्रसाद को पायें सखी !
किरण
चित्र गूगल से साभार
मधुर ज्योति जहाँ जगे सखी ,
प्रेम वायु के शीतल झोंके
इधर-उधर से लगें सखी !
प्रेम सिंधु के उर प्रांगण में
चलो तरंगें बनें सखी ,
मिल कर प्रियतम के संग हम तुम
प्रेम केलि में पगें सखी !
आओ बना प्रेम का मंदिर
प्रिय की मूर्ति बिठायें सखी ,
जग के हर कोने-कोने में
प्रेम सुधा सरसायें सखी !
गा-गा करके राग प्रेम के
प्रियतम को हरषायें सखी ,
तन मन धन सब आज गँवा कर
प्रिय प्रसाद को पायें सखी !
किरण
चित्र गूगल से साभार
very nice:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंशुभ-कामनाएं ||
बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंbehtarin prastuti
जवाब देंहटाएंbahut sundar.....
जवाब देंहटाएंचलो चलें उस ओर प्रेम की
जवाब देंहटाएंमधुर ज्योति जहाँ जगे सखी ,
प्रेम वायु के शीतल झोंके
इधर-उधर से लगें सखी !
बहुत सुंदर.
सुंदर। अब प्रेम गीत कम ही पढ़ने को मिलते हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत कविता।
जवाब देंहटाएंप्रेम सिंधु के उर प्रांगण में
जवाब देंहटाएंचलो तरंगें बनें सखी ,
मिल कर प्रियतम के संग हम तुम
प्रेम केलि में पगें सखी !
प्रेम में पूरी तरह डूबने को आतुर मन ... बहुत प्यारी रचना पढवाने के लिए आभार
बहुत ही खूबसूरत कविता आभार पढवाने के लिए
जवाब देंहटाएंजरूरी कार्यो के कारण करीब 15 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
बहुत मधुर रचना पढवाने के लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं !
इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
प्रेम की मधुर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंप्रेम में पगा मीठा गीत...
जवाब देंहटाएंसमर्पित प्रेमभाव की सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंpremras chalkati sundar kavita.bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंजग के हर कोने-कोने में
जवाब देंहटाएंप्रेम सुधा सरसायें सखी !...
--वाह वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!---ऐसी ही प्रेम-भाव सुधा सरसाई जाती रहे तो यह जग स्वर्ग बन् ही जाए.....
प्रेम सिंधु के उर प्रांगण में
जवाब देंहटाएंचलो तरंगें बनें सखी ,
मिल कर प्रियतम के संग हम तुम
प्रेम केलि में पगें सखी !
..sundar prempagi rachna..
बहुत सुंदर..!!!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर प्रेम पगी कोमल रचना....शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...
poorn samarpan ko darshati sunder rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
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