गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर माँ की लिखी यह कविता आप सबके लिये उपलब्ध करा रही हूँ ! आशा है आपको पसंद आयेगी !
क्यों उषा की लालिमा मुसका रही है,
क्यों निशा की कालिमा सकुचा रही है,
कर रहीं शहनाइयाँ क्यों मधुर सा रव,
क्यों मृदुल स्वर से प्रभाती गा रही है !
क्यों वसंती पवन यह बौरा रहा है,
क्यों कली पर झूम यह भौंरा रहा है,
क्यों गगन में मन रही दीवालियाँ हैं,
सूर्य क्यों अद्भुत प्रभा फैला रहा है !
कोकिला किनकी गुणावलि गा रही है,
कीर्ति किनकी गगन को गुन्जा रही है,
सप्त सागर जलांजलि देते किन्हें हैं,
जाह्नवी की क्यों लहर गरुवा रही है !
यह विजय उत्सव मनाया जा रहा है,
हर्ष का सौरभ लुटाया जा रहा है,
आज है गणतंत्र दिन इस हिंद का,
अमर वीरों को बुलाया जा रहा है !
यह विजय हमको बड़ी मँहगी पड़ी है,
भेंट अगणित प्राण की देनी पड़ी है,
फल गयी हैं आज सब कुर्बानियाँ वे,
यातना झेली, व्यथा सहनी पड़ी है !
उन शहीदों की चिता पर बढ़ चलो जन,
दीप श्रद्धा के जला कर ले चलो जन,
भेंट कर दो भावना के पुष्प मंजुल,
अभय हो गणतंत्र यह वर माँग लो जन !
जय भारत ! जय गणतंत्र ! वंदे मातरम !
किरण
उन शहीदों की चिता पर बढ़ चलो जन,
जवाब देंहटाएंदीप श्रद्धा के जला कर ले चलो जन,
भेंट कर दो भावना के पुष्प मंजुल,
अभय हो गणतंत्र यह वर माँग लो जन !
जय भारत ! जय गणतंत्र ! वंदे मातरम !
बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ....
आज के परिवेश में ज्यादा ही सोचने की ज़रूरत है की हमारा देश कैसे और किन परिस्थितियों में आज़ाद हुआ था ...
very nice poem...
जवाब देंहटाएंBehtareen rachana! Gantantr diwas kee bahut,bahut badhayee!
जवाब देंहटाएंयह विजय उत्सव मनाया जा रहा है,
जवाब देंहटाएंहर्ष का सौरभ लुटाया जा रहा है,
आज है गणतंत्र दिन इस हिंद का,
अमर वीरों को बुलाया जा रहा है !
बहुत सटीक ,लाजवाब
कविता -
यह विजय उत्सव मनाया जा रहा है,
जवाब देंहटाएंहर्ष का सौरभ लुटाया जा रहा है,
आज है गणतंत्र दिन इस हिंद का,
अमर वीरों को बुलाया जा रहा है !
बहुत सुंदर .... सार्थक रचना
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं"उन शहीदों की चिता पर बढ़ चलो जन,
जवाब देंहटाएंदीप श्रद्धा के जला कर ले चलो जन,
भेंट कर दो भावना के पुष्प मंजुल,
अभय हो गणतंत्र यह वर माँग लो जन !"
अत्यंत प्रेरणापूर्ण रचना
बधाई
आभार
गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं
आदरणीया साधनाजी
जवाब देंहटाएंप्रणाम
आदरणीया मां'जी की अद्भुत प्रतिभासंपन्न लेखनी को नमन है ! निरंतर श्रेष्ठ से श्रेष्ठ्तर रचनाएं पढ़ पढ़ कर अभिभूत हो जाता हूं ।
ऐसे कालजयी सृजन का प्रसाद बांटने के लिए आपका आभार !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
यह विजय हमको बड़ी मँहगी पड़ी है,
जवाब देंहटाएंभेंट अगणित प्राण की देनी पड़ी है,
फल गयी हैं आज सब कुर्बानियाँ वे,
यातना झेली, व्यथा सहनी पड़ी है !
बहुत प्रेरक और प्रवाहपूर्ण प्रस्तुति..गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई !
यह विजय हमको बड़ी मँहगी पड़ी है,
जवाब देंहटाएंभेंट अगणित प्राण की देनी पड़ी है,
फल गयी हैं आज सब कुर्बानियाँ वे,
यातना झेली, व्यथा सहनी पड़ी है !
माँ की यह कविता वन्दनीय हैं...
भाई राजेंद्र स्वर्णकार जैसे शब्द नहीं हैं मेरे पास मगर भाव वही मानिये ! सादर
यह विजय उत्सव मनाया जा रहा है,
जवाब देंहटाएंहर्ष का सौरभ लुटाया जा रहा है,
आज है गणतंत्र दिन इस हिंद का,
अमर वीरों को बुलाया जा रहा है !
बहुत ही भावमय करते यह शब्द ...बधाई ।
उन शहीदों की चिता पर बढ़ चलो जन,
जवाब देंहटाएंदीप श्रद्धा के जला कर ले चलो जन,
भेंट कर दो भावना के पुष्प मंजुल,
अभय हो गणतंत्र यह वर माँग लो जन !
कहने को शब्द नहीं ...बहुत सुंदर
गणतंत्र दिवस पर बधाई