बुधवार, 19 जनवरी 2011

कर लेना भूले से याद

सखे तुम्हारे उर प्रदेश में
जब स्मृति का ज्वार नहीं ,
मेरे इस दुखिया जीवन की
तुच्छ भेंट स्वीकार नहीं !

पागल उर में अरमानों का
साज सजा फिर क्या होगा ,
तिमिरावृत कुटिया में आशादीप
जला कर क्या होगा !

छल-छल करके नयन कटोरे
स्नेह वारि ढुलका देंगे ,
मधुर स्वप्न जब वियोगाग्नि को
और अधिक भड़का देंगे !

दूर बसे तुम, दूर तुम्हारी
स्मृति भी करनी होगी ,
अंतरतम की भग्न दीवालें
आहों से भरनी होंगी !

अब सुखियों की संसृति में
पागल जीवन का क्या होगा ,
हँसने वालों के जमघट में
रोते मन का क्या होगा !

धरा धराधर के अधरों में
मधुर मिलन मुस्कायेगा ,
सांध्य सुन्दरी का सुन्दर मुख
लज्जित हो झुक जायेगा !

तब मीठी सी याद किसी की
पीड़ा बन बस जायेगी ,
रजनी सी निर्जीव कालिमा
जीवन तट पर छायेगी !

तब हताश अस्ताचलगामी
चन्द्र बिम्ब का लख अवसाद ,
सखे कभी इस तुच्छ हृदय की
'भूले से कर लेना याद !'


किरण

15 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय साधना जी
    नमस्कार !
    ....बहुत ही गहन एवं भावमय प्रस्‍तुति ।

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  2. तब हताश अस्ताचलगामी
    चन्द्र बिम्ब का लख अवसाद ,
    सखे कभी इस तुच्छ हृदय की
    'भूले से कर लेना याद
    रिश्तों की संधि....... बहुत ही भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति ..

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  3. दूर बसे तुम, दूर तुम्हारी
    स्मृति भी करनी होगी ,
    अंतरतम की भग्न दीवालें
    आहों से भरनी होंगी !
    बहुत ही मार्मिक रचना...मन की वेदना दर्शाती हुई

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  4. वाह! बेहद गहन अभिव्यक्ति।

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  5. तब मीठी सी याद किसी की
    पीड़ा बन बस जायेगी ,
    रजनी सी निर्जीव कालिमा
    जीवन तट पर छायेगी !
    waah, behad achhi

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  6. बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  7. बहुत ही सुन्दर शब्द चयन |एक भाव प्रधान रचना
    आशा

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  8. छल-छल करके नयन कटोरे
    स्नेह वारि ढुलका देंगे ,
    मधुर स्वप्न जब वियोगाग्नि को
    और अधिक भड़का देंगे !

    वियोग का मार्मिक चित्रण ...

    तब हताश अस्ताचलगामी
    चन्द्र बिम्ब का लख अवसाद ,
    सखे कभी इस तुच्छ हृदय की
    'भूले से कर लेना याद !'

    बहुत भाव भरी रचना ....

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  9. तब मीठी सी याद किसी की
    पीड़ा बन बस जायेगी ,
    रजनी सी निर्जीव कालिमा
    जीवन तट पर छायेगी !
    बहुत खुब जी धन्यवाद

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  10. अब सुखियों की संसृति में
    पागल जीवन का क्या होगा ,
    हँसने वालों के जमघट में
    रोते मन का क्या होगा !

    बहुत मर्मस्पर्शी.. भावों का प्रवाहमयी भाषा में अतिसुन्दर सम्प्रेषण..बहुत सुन्दर

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. तब हताश अस्ताचलगामी
    चन्द्र बिम्ब का लख अवसाद ,
    सखे कभी इस तुच्छ हृदय की
    'भूले से कर लेना याद !'

    पढ़ कर भावुक हो गया दिल.बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना

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  13. धरा धराधर के अधरों में
    मधुर मिलन मुस्कायेगा ,
    सांध्य सुन्दरी का सुन्दर मुख
    लज्जित हो झुक जायेगा !

    तब मीठी सी याद किसी की
    पीड़ा बन बस जायेगी ...
    काव्य सरिता बह रही ... जैसे रस की धार बह रही हो ... बहुत ही कमाल की रचना है ... इन यादों की पीड़ा भी मधुर है जैसे ...

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