रविवार, 4 मार्च 2012

जीवन प्याली


मेरी जीवन प्याली दे
तू बूँद-बूँद भर साकी ,
परिपूरित कर दे कण-कण
रह जाये न खाली बाकी !

मैं ढूँढ-ढूँढ थक आई
साकी तेरी मधुशाला ,
दे दे भर-भर कर मुझको
मोहक प्याले पर प्याला !

मैं हो जाऊँ पी-पी कर
बेसुध पागल मतवाली ,
छा जावे इन अधरों पर
तेरे मधु की मृदु लाली !

ले अमिट साध यह साकी
मैं तेरे सम्मुख आई ,
इस हाला में जीवन की
सारी सुख शान्ति समाई !

दे साकी इतनी हाला
बेसुध होऊँ छक जाऊँ ,
बस एक बार ही पीकर
साकी अनंत तक जाऊँ !


किरण

चित्र गूगल से साभार

14 टिप्‍पणियां:

  1. मन की सारी इच्छाओं को मादक मदिरा मिली रहे...

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  2. बढ़िया प्रस्तुति

    आभार ।।

    दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक

    dineshkidillagi.blogspot.com


    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

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  3. मैं हो जाऊँ पी-पी कर
    बेसुध पागल मतवाली ,
    छा जावे इन अधरों पर
    तेरे मधु की मृदु लाली …………वाह कितना मधुर भाव है।

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  4. प्यार के रंगों से भरी लगी आपकी रचना....

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  5. बहुत सुंदर ....
    होली की शुभकामनाएँ!

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  6. बहुत उत्तम रचना :)
    होली की शुभकामनाएँ.....

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  7. aadarniya mosiji sadar vande , aap sabhi ko holi ki aseem shubhkamnayen.behad pyaari rachana hae.jivan men aek nsha jaroori hota hae.sarthak post hae aapki aabhar.

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  8. रंगोत्सव पर आपको सपरिवार बधाई!

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  9. शानदार रसमय प्रस्तुति.
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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