रविवार, 26 अगस्त 2012

अर्चना


आओ आओ बेग पधारो व्याकुल ह्रदय हमारा है ,
नाथ न क्यों सुनते अनुनय हो निठुर भाव क्यों धारा है !

दुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला,
आजा फिर दिखला दे मोहन मधुर दृश्य गोकुल वाला !

बृज की शोभा क्षीण हुई है ऐ बृजराज दुलारे आ ,
विरह व्यथा से व्याकुल गोपिन के जीवन उजियारे आ !

माँ जसुदा की सुघर गोद के प्यारे कुँवर कन्हैया आ ,
वंशीधारी, गिरिवरधारी, वन-वन वेणु बजैया आ !

किरण


बुधवार, 15 अगस्त 2012

पन्द्रह अगस्त














देहली  के कण-कण में जाने दबे पड़े कितने इतिहास ,
लाल किले की दीवारों ने देखे कितने हास विलास !

कभी पांडवों ने इसके स्वर्गांचल में मणिरत्न जड़े ,
कभी  स्वत्व पर बलि होने को इस पर ही चौहान लड़े !

देखा है इसकी मिट्टी ने मुगलों का उन्मत्त विलास ,
देखे हैं इसकी धरती ने जाने कितने मृदु मधुमास !

ये यमुना की लोल लहरियाँ देख चुकीं कितने उत्थान ,
और पतन के गहन गर्त में डूबे हुए गलित अभिमान !

इसके शांत अंक में सोये जाने कितने वीर प्रवण ,
कितनी  सतियों ने साजन संग किया मृत्यु का यहाँ वरण !

जब इस लाल किले के ऊपर फहराया परदेशी ध्वज ,
तब झाँसी में बिगुल बजा, चल पड़े वीर सब आलस तज !

हुआ शुरू जबसे स्वतन्त्रता देवी के मठ का निर्माण ,
खेल खेलने लगे मृत्यु का वीर दाँव पर रख कर प्राण !

पहले बनी नींव का पत्थर वह झाँसी की महारानी ,
जिसने राह दिखाई हमको आज़ादी की सुखसानी !

चले बाँध कर कफ़न शीष पर देशप्रेम के मतवाले ,
हँसते-हँसते झूल गये फाँसी पर कितने मतवाले !

आठ युगों की कठिन तपस्या नए देश में रंग लाई ,
'जय स्वदेश' 'जय हिंद' गा उठी मृदु स्वर भर जब शहनाई !

वह 'पन्द्रह अगस्त' सैंतालीस का पावन त्यौहार हुआ ,
जब अपने भारत की सत्ता पर हमको अधिकार हुआ !

बिखर गये सदियों के बंधन हुआ सफल वीरों का त्याग ,
हुआ देश आज़ाद, गुलामी चली गयी भारत से भाग !

इस गौरवमय पुण्य दिवस का क्यों न करें सम्मान सखे ,
आज  इसी 'पन्द्रह अगस्त' पर क्यों न करें अभिमान सखे !

बिछुड़ी हुई कीर्ति रानी का जब भारत से मिलन हुआ ,
आज वही 'पन्द्रह अगस्त' है जब संकट का शमन हुआ !

इस पावन अवसर पर साथी लिखा गया इतिहास नया ,
नव संवत्सर काल शिला पर चरण रेख शुभ डाल गया !

हुआ दीप्त अभिषेक तिलक से जब भारत का भाल प्रशस्त ,
'जय भारत' के साथ-साथ गूँजा 'जय जय पन्द्रह अगस्त' !


किरण









रविवार, 12 अगस्त 2012

श्याम हमारे आओ ...


मुरारी मुरली आज बजाओ ! 

भक्ति की गंगा जमुना में तुम भक्तों को नहलाओ ,
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में आओ रास रचाओ ,
यमुना तट पर फिर मनमोहन मीठे राग सुनाओ ,
क्यों तुम रूठ गये हो कान्हा यह तो हमें बताओ ,
भारतवासी भक्त बनें फिर ऐसी राह दिखाओ ,
नैना प्यासे हैं दर्शन को अब न अधिक तरसाओ ,
क्षीर सिंधु का त्याग करो अब, श्याम हमारे आओ ! 


किरण


मंगलवार, 7 अगस्त 2012

कन्हैया

 
 
गोकुल के रचैया अरु गोकुल के बसैया हरि ,
माखन के लुटैया पर माखन के रखैया तुम ! 
 
गोधन  के कन्हैया अरु गोवर्धन उठैया नाथ ,
बृज के बसैया श्याम बृज के बचैया तुम !

भारत रचैया अरु भारत बचैया कृष्ण ,
गीता के सुनैया अरु गीता के रचैया तुम ! 

बंसी के बजैया अरु चीर के चुरैया हरि  ,
नागन के ऊपर चढ़ि नृत्य के करैया तुम ! 
 
सारी  के चुरैया अरु सारी के बढ़ैया साथ ,
भरी  सभा द्रौपदी की लाज के रखैया तुम !

राधा के गहैया श्याम राधा के छुड़ैया योगी ,
गोपिन संग कुंजन में रास के रचैया तुम ! 

पापी अरु पापिन को स्वर्ग के दिलैया नाथ ,
शरण हूँ मैं लाज राखो कुँवर कन्हैया तुम ! 


किरण